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3.3 KiB

दा’वत, दा’वतें, दा’वतनामा:

ता’अर्रुफ़:

“दा’वत” लफ़्ज़ का हवाला किसी ख़ास मौक़े से है, जहाँ लोगों की जमा’अत एक बड़ी दा’वत एक साथ खाते हैं, अक्सर किसी चीज़ का जश्न मनाने के लिए| “दा’वत” का ‘अमल का मतलब है बहुत ज्यादा ता’ दाद में खाना या एक साथ खाने के लिए शरीक़ होना|

  • अक्सर ख़ास क़िस्म के खाने हैं जो एक ख़ास दा’वत में खाते हैं|

मज़हबी ‘ईदों जिनको ख़ुदा ने यहूदियों को मनाने का हुक्म दिया था अक्सर उसमें बड़ी दा’वत का इंतज़ाम रखते थे| यही वजह है कि ‘ईदों को दा’वत कहा गया था।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में बादशाह और दूसरे दौलतमन्द और ताक़तवर लोग अपने ख़ानदान और दोस्तों की तफ़रीह के लिए दा’वत देते थे|
  • खोए हुए बेटे की कहानी में, बाप ने बेटे के लौट आने की ख़ुशी में एक ख़ास दा’वत का इंतज़ाम किया|
  • कभी-कभी दा’वत का खाना कई दिनों तक चलता था।
  • “दा’वत मनाने” का तर्जुमा, “बहुत ज़्यादा खाना” या “बहुत खाने के ज़रिए’ ख़ुशी मनाना” या “ख़ास, बहुत सा खाना” के तौर पर भी हो सकता है|
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “दा’वत” का तर्जुमा हो सकता है, “बड़ी दा’वत की एक साथ मिलकर ख़ुशी मनाना” या “बहुत ज़्यादा खाने की दा’वत” या “ख़ुशी की दा’वत”|

(यह भी देखें : ‘ईद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H398, H2077, H2282, H2287, H3899, H3900, H4150, H4580, H4797, H4960, H7646, H8057, H8354, G26, G755, G1062, G1173, G1403, G1456, G1858, G1859, G2165, G3521, G4910