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ज़मीन, ज़मीन का, ज़मीन
ता'अर्रुफ़:
लफ़्ज़“ज़मीन” इस बात को ज़ाहिर करता है कि वह दुनिया जिसमें इंसान और सब मख़लुक़ात एक साथ रहते हैं ।
- “ज़मीन” का मतलब ज़मीन या मिट्टी भी हो सकता है जो ज़मीन को ढकता है।
इस लफ्ज़ का 'अलामती इस्ते'माल हमेशा ज़मीन के रहने वालों को दिखाता है। (देखें: सिफ़त)
- इज़हार “ज़मीन को ख़ुश हो जाने दो” और “वह ज़मीन का इंसाफ़ करेगा” इस लफ़्ज़ के 'अलामती इस्ते'माल भी मिसाल हैं।
- “दुन्यावी” लफ्ज़ जिस्मानी चीज़ों के बारे में हैं।
तर्जुमा की सलाह:
- इस लफ्ज़ का तर्जुमा मुक़ामी ज़बान या आस पास की क़ौमी ज़बान के काम में आनेवाले लफ्ज़ का जुमले के तौर पर किया जा सकता है जो जिस ज़मीन जिस पर हम रहते हैं उस मंसूबा के लिए काम में लिया जाता है।
- जुमले के मुताबिक़ “ज़मीन” का तर्जुमा “दुन्या” या “ज़मीन” या “धूल” या “मिट्टी” किया जा सकता है।
- 'अलामती इस्ते'माल में ज़मीन का तर्जुमा “ज़मीन के लोग” या “ज़मीन पर रहनेवाले लोग” या “ज़मीन की सब चीज़ें” किया जा सकता है।
- “दुन्यावी” का तर्जुमा “जिस्मानी” या “ज़मीन की चीज़ें” या “देखने लायक़” किया जा सकता है।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 01:38-40
- 2 तवारीख़ 02:11-12
- दानीएल 04:35
- लूक़ा 12:51-53
- मत्ती 06:8-10
- मत्ती 11:25-27
- ज़करियाह 06:5-6
शब्दकोश:
- Strong's: H127, H772, H776, H778, H2789, H3007, H3335, H6083, H7494, G1093, G1919, G2709, G2886, G3625, G3749, G4578, G5517