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जानदार , जानदारों
ता’अर्रुफ़:
“जानदार ” का मतलब है ख़ुदा के ज़रिये’बनाये सब मख़लूक़ चाहे इन्सान हो या जानवर |
- हिज़क़ीएल नबी ने ख़ुदा के जलाल के रोया में "ज़िन्दा मख़लूक़ों" का बयान किया है। वह उन्हें पहचानता नहीं था इसलिए उसने उन्हें यह नाम दिया।
- ध्यान दें कि मख़लूक़ का मतलब यहां अलग है क्योंकि ख़ुदा ने सब कुछ बनाया है जानदार और बेजान चीज़े (जैसे ज़मीन , पानी , सितारे)। “जानदार ” लफ़्ज़ का मतलब है केवल जानदार चीज़ें |
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून के मुताबिक़ “जानदार” “मख़लूक़” या “ज़िन्दा मख़लूक़” या बना जानदार “भी किया जा सकता है |
इस लफ़्ज़ का जमा’ “जानदारों” का तर्जुमा “सभी ज़िन्दा मख़लूक़" या “इन्सान और जानवर ” या "जानवर " या “इन्सान ”|
(यह भी देखें: पैदा करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H255, H1320, H1321, H1870, H2119, H2416, H4639, H5315, H5971, H7430, H8318, G2226, G2937, G2938