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हक़ीर जाने ,हक़ीर

सच्चाई:

“हक़ीर जानने” का बयान बहुत ही ज़लील और बेइज़्ज़ती से है जो किसी चीज़ या इन्सान के लिए है। जो बात बहुत ही ज़लालत की हो उसे बेइज़्ज़ती (घिनौनी) कहते हैं।

  • ख़ुदा के लिए इन्कार ज़ाहिर करने वाला इन्सान या ख़सलत “हक़ीर” कहलाता है। इसका तर्जुमा “बहुत ज़लालत ” या “पूरी तरह बेइज़्ज़ती ” या “बुराई के लायक़ ” हो सकता है।
  • “हक़ीर जानना” या’नी किसी को अपने से कम अहमियत का या “कम लियाक़त का समझना।
  • ज़ेल कलाम का मतलब यही हो सकता है, “का इन्कार ” या “घिनौना समझना” या “नफ़रत करना” या “हक़ीर समझना”। इन सबका मतलब है, “ज़लालती ” या “बहुत बे इज़्ज़ती ” कह कर या करके।
  • जब बादशाह दाऊद ने ज़िना और क़त्ल किया तब ख़ुदा ने कहा, “तूने यहोवा के हुक्म को हक़ीर जानकर....” इसका मतलब है कि उसने अपने इस बुरे काम के ज़रिये’ ख़ुदा की बहुत बेइज़्ज़ती व ज़लील किया था।

(यह भी देखें: बेइज़्ज़ती)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H936, H937, H959, H963, H1860, H7043, H7589, H5006, G1848