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सफ़ीर, फ़रिश्तों नुमाइंदा, नुमाइंदों

ता’अर्रुफ़:

नुमाइंदा वह आदमी है जिसे इख्तियार के साथ चुना गया कि मुल्कों के साथ रिश्ता रखे। इसका इस्तेमाल पहचान के लिए भी किया गया है जिसका ज़्यादा तर आम तर्जुमा “नुमाइन्दा ” होता है।

  • फ़रिश्ता या नुमाइन्दे अपने भेजने वाले या अपनी सल्तनत की ख़ुशख़बरी लोगों तक पहुंचाता है।
  • ‘आम तौर पर नुमाइंदा उस आदमी के बारे में है जिसे उस आदमी की तरफ़ से कहने या करने का इख्तियार हासिल होता है जिसने उसे भेजा है।
  • रसूल पौलुस ने ता'लीम दी कि ईमानदार मसीह के "सफ़ीर " या "नुमाइन्दगी " करते हैं क्यूँकि वे इस दुनिया में मसीह की ख़ुशख़बरी सुनाते हैं।
  • जुमले के मुताबिक़ इस लफ्ज़ का तर्जुमा “इख्तियारी शक्ल से नुमाइन्दा” या “मुक़र्रर ख़ुशख़बरी देने वाला ” या “चुना हुआ नुमाइन्दा” या “ख़ुदा का चुना नुमाइन्दा ” हो सकता है।
  • “ सफ़ीर की नुमाइन्दगी” का तर्जुमा “ज़्यादा तर ख़ुशख़बरी देने वाला” या “चुने हुए नुमाइन्दों का झुण्ड ” या “सबकी तरफ़ से बोलने वाला एक गिरोह ”

(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: सफ़ीर

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3887, H4135, H4136, H4397, H6735, H6737, G4243