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लायक़, क़ीमती, नालायक़ , निकम्मा

ता’अर्रुफ़:

“लायक़ ” लफ़्ज़ किसी ऐसे इन्सान या चीज़ का बयान करता है जो बड़ाई या इज़्ज़त के लायक़ है। “क़ीमत ” या’नी क़ीमती या ख़ास होना “निकम्मा” या’नी किसी काम का नहीं

  • “लायक़ ” या’नी काम का या ख़ास
  • “नालायक़ ” या’नी ख़ास काम के लायक़ नहीं
  • लायक़ मा’लूम न होना या’नी किसी की बराबरी में कम अहमियत का होना या इज़्ज़त और रहम के सुलूक के क़ाबिल न होना।
  • “नालायक़” और “निकम्मा” मुन्सलिक़ लफ़्ज़ हैं लेकिन इनके मतलब अलग-अलग हैं। नालायक़ या’नी इज़्ज़त या मान के लायक़ नहीं । “निकम्मा” या’नी किसी काम का नहीं या किसी अहमियत का नहीं।

तर्जुमे की सलाह

  • “लायक़ ” का तर्जुमा हो सकता है, “क़ाबिलयत ” या “ख़ास ” या “फ़ायदेमंद ”।
  • “क़ीमत ” का तर्जुमा हो सकता है “इज़्ज़त ” या “अहमियत ”
  • “की क़ीमत ” का तर्जुमा हो सकता है, “क़ीमती होना” या अहम होना।
  • “उसकी क़ीमत .... से ज़्यादा है” का तर्जुमा हो सकता है, "की बराबरी में ज़्यादा क़ीमती है।",
  • मज़मून पर मुनहसिर “नालायक़” का तर्जुमा हो सकता है, “बिना अहमियत ” या “बे इज़्ज़त ” या “बेकार ”
  • “निकम्मा” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी काम का नहीं” या “किसी मक़सद का नहीं” या “बिना अहमियत ”

(यह भी देखें: इज़्ज़त

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H117, H639, H1929, H3644, H4242, H4373, H4392, H4592, H4941, H6994, H7939, G514, G515, G516, G2425, G2661, G2735