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नाम, नामों, नाम पर

ता’अर्रुफ़:

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “नाम” लफ़्ज़ के अनेक ‘अलामती इस्ते’माल हैं।

  • कुछ मज़मूनों में “नाम” इन्सान की शोहरत का हवाला देता है जैसे “अपने लिए नाम कमाएं।”

  • “नाम” लफ़्ज़ किसी यादगारी का हवाला भी देता है। मिसाल के तौर पर“बुतों का नाम मिटा दो”, या’नी बुतों को ऐसे बर्बाद कर दो कि उनकी यादगारी ही न रहे या उनकी ‘इबादत न की जाए।

  • “ख़ुदा के नाम में” बोलना मतलब उसकी क़ुव्वत और इख़्तियार में या उसके नुमाइंदे होकर बोलना।

  • लफ़्ज़ किसी का “नाम” तमाम इन्सान का हवाला देता है जैसे “आसमान के नीचे कोई और नाम नहीं जिससे हम नजात पाते हैं।” (देखें: सिफ़त

तर्जुमे की सलाह:

  • एक इज़हार जैसे “इसका अच्छा नाम” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उसकी अच्छी शोहरत।”
  • “के नाम में” कुछ करना, इसका तर्जुमा हो सकता है, के इख़्तियार में” या “की इजाज़त से” या “रहनुमाई में” काम करना।
  • “ऐसा करना कि इन्सान हमारे बारे में जाने” या “इंसानों को सोचने पर मजबूर करना कि हम ख़ास हैं।”
  • इज़हार "उसका नाम पुकारना" का तर्जुमा हो सकता है "उसे नाम देना" या "उसे पुकारना"।
  • "जो लोग आपके नाम से मुहब्बत रखते हैं" का तर्जुमा "जो आपसे प्यार करते है" के तौर पर किया जा सकता है।
  • इज़हार "बुतों के नामों को काट" का तर्जुमा "बुतों से छुटकारा पाना ताकि वे याद भी न आये" या "लोगों को झूठे मा’बूदों की इबादत करना बंद करने की वजह" या "सभी बुतों को पूरी तरह से तबाह कर दें ताकि लोग अब उनके बारे में न सोचे" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह बी देखें: बुलाहट)

## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में: ##

शब्दकोश:

  • Strong's: H5344, H7121, H7761, H8034, H8036, G2564, G3686, G3687, G5122