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6.9 KiB

बुलाना ,पुकारा ,पुकारना ,कहलाता

ता’रीफ़:

बुलाना’’ और “पुकारना” के हक़ीक़ी मा’ने हैं ,किसी दूर खड़े इन्सान को ऊँचे लफ़्ज़ों में कुछ कहना | "पुकारना "के मा'ने किसी ख़ास को बुलाना | इसके बहुत से तम्सीली मा’ने हैं

  • “पुकारना “मतलब दूर खड़े किसी आदमी से ऊंचे लफ़्ज़ों में कुछ कहना | इसके मा’ने मदद माँगना भी होता है ख़ास कर ख़ुदा से |
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “बुलाना “के मा’नी हैं” तलब करना “या आने का हुक्म या “आने की गुज़ारिश |
  • ख़ुदा इन्सानों को बुलाता है कि उसके पास आयें और उसके लोग हों यह उनकी बुलाहट है |
  • बुलाया “ लफ़्ज़ का किताब-ए-मुक़द्दस में मा’नी है ,ख़ुदा ने इन्सानों को मुक़र्रर किया या चुन लिया कि उसकी औलाद हों ,उसके ख़ादिम हों और ‘ईसा के ज़रिए’नजात की ख़बर के बताने वाले हों
  • इस लफ़्ज़ को किसी का नाम देने के मज़मून में भी काम में लिया जाता है | मिसाल के तौर पर “वह यूहन्ना कहलाया “जैसे कि “उस का नाम यूहन्ना रखा गया “या उसका नाम यूहन्ना हुआ “|
  • नाम से पुकारा जाना “ मतलब किसी को किसी और का नाम दिया जाना | ख़ुदा कहता है कि उसने अपने लोगों को अपने नाम से बुलाया है |
  • एक अलग कलाम “मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है “|ख़ुदा उस ख़ास इन्सान का नाम ख़ुद से जानता है और उसे ख़ास करके चुन लिया है |

तर्जुमे की सलाह:

  • “बुलाना “का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ों में किया जाये जिनके मा’नी “तलब करना “हो जिसमे बुलाहट की मर्ज़ी और मक़सद शामिल हों |
  • “तुझे पुकारता हूँ “इसका तर्जुमा हो सकता है “तुमसे मदद माँगता हूँ “या तुझसे शिद्दत से मिन्नत करता हूँ “|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में लिखा है कि ख़ुदा ने हमें बुलाया कि इसकी ख़िदमत करे तो इसका तर्जुमा किया जा सकता है ,उसके ख़ादिम होने के लिए “हमें ख़ास करके चुना”या “हमें मुक़र्रर किया”
  • ”उसका नाम पुकारा “इसका तर्जुमा हो सकता है “उसको नाम देना “
  • “उसका नाम पुकारा “इसका तर्जुमा हो सकता है “उसका नाम है “या उसको नाम दिया गया है |
  • पुकारना “इसका तर्जुमा हो सकता है ,”ऊंचे लफ़्ज़ में कहना “या चिल्लाने “ऊँची आवाज़ में कहना “ लेकिन ध्यान रखें कि इसके तर्जुमे में अल्फ़ाज़ों में ग़ुस्से का निशान ज़ाहिर न हो |
  • तुम्हारी बुलाहट “इसका तर्जुमा हो सकता है “तुम्हारा मक़सद “या तुम्हारे लिए ख़ुदा का मक़सद या “तुम्हारे लिए ख़ुदा का अहम काम “
  • ख़ुदावन्द का नाम पुकारना “इसका तर्जुमा किया जा सकता है ,”ख़ुदावन्द की तलाश करो और उस पर भरोसा रखो “या ख़ुदा में यक़ीन करके उसके हुक्म मानो |
  • किसी बात के लिए “पुकार करना “इसका तर्जुमा हो सकता है “मांग करना “या तलब करना “या “हुक्म देना “
  • तुम मेरे नाम से बुलाये गये हो “इसका तर्जुमा हो सकता है “मैंने तुम्हें अपना नाम दिया है कि दिखाऊँ तुम मेरे हो “|
  • “जब ख़ुदा कहता है “मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है “तो इसका तर्जुमा हो सकता है ,”मै तेरा नाम जानता हूँ और तुझे चुन लिया है “|

(यह भी देखें: दुआ करना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

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शब्दकोश:

  • Strong's: H559, H2199, H4744, H6817, H7121, H7123, G154, G363, G1458, G1528, G1941, G1951, G2028, G2046, G2564, G2821, G2822, G2840, G2919, G3004, G3106, G3333, G3343, G3603, G3686, G3687, G4316, G4341, G4377, G4779, G4867, G5455, G5537, G5581