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इन्साफ़ ,ना इन्साफ़ी ,ना इन्साफ़ी से भरा ,इंसाफ़ पसनद ,फ़ैसला,

ता;अर्रुफ़ :

इन्साफ़ " और "मुंसिफ़ " लोगों को ख़ुदा के क़ानूनों के मुताबिक़ सही तौर से फ़ैसला करने के बारे में बताता है। इंसानी क़ानून जो दूसरों के लिए सही सुलूक और ख़ुदा के वक़ार को ज़ाहिर करते हैं, वह भी हैं।

  • “इन्साफ़ ” या'नी लोगों के साथ सच्चा और सही सुलूक करना। यह ख़ुदावन्द की नज़रं में ग़लत और सही काम करना भी है।
  • “मज़हबी” सुलूक करना या'नी लोगों के साथ ऐसा सुलूक करना जो ख़ुदावन्द के क़ानून के मुताबिक़ सही बेहतर और मुनासिब है।
  • “इन्साफ़” पाना या'नी क़ानून के मुता'अल्लिक़ सही सुलूक हासिल करना, क़ानून की हिफ़ाज़त में या हुक्मों की ना फ़रमानी में।
  • कभी-कभी “इन्साफ़” का मतलब बड़ा होता है जैसे “मज़हबी” या “ख़ुदावन्द के हुक्मों पर ‘अमल करना”

"ना इंसाफ़ी से भरा " और "ना इंसाफ़ी" लफ़्ज़ लोगों को एक ग़लत और अक्सर नुक़सान दह तरीक़े के सुलूक करने के बारे में बताता है

एक "ना इंसाफ़ी " कुछ बुरा है जो किसी शख़्स के साथ किया जाता है जिसे बयान करना ठीक नहीं था। यह लोगों को ग़लत तरीक़े के सुलूक करने के बारे में बताता है। ना इंसाफ़ी का भी मतलब है कि कुछ लोगों से ग़लत तरह से सुलूक किया जाता है जबकि दूसरो से सही सुलूक किया जाता है।

  • जो कोई ग़लत रास्ते में काम कर रहा है और हसद किए जा रहा है तो वह लोगों से सही सुलूक नहीं करता |

“मज़हबी ठहराएगा” और “रास्तबाज़ ” का मतलब है क़ुसूरवार लोगों को रास्तबाज़ ठहराना। सिर्फ़ ख़ुदावन्द लोगों को हक़ीक़त में इन्साफ़ करने वाला ठहराया जा सकता है।

  • जब ख़ुदावन्द लोगों को रास्तबाज़ ठहराता है तब वह उनके गुनाह मु'आफ़ करके ऐसा कर देता है कि उन्होंने कभी गुनाह नहीं किया वह उन गुनाहगारों को ही रास्तबाज़ ठहराता है जो गुनाहों से बचने के लिए 'ईसा में ईमान करते हैं।
  • “रास्तबाज़ ” के बारे में ख़ुदावन्द के ज़रिए' लोगों के गुनाहों की मु'आफ़ी से और 'ऐलान से है कि वे इन्सान ख़ुदावन्द की नज़र में रास्तबाज़ है।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़, “सच्चा” का तर्जुमा करने की कई शक्ल हैं “इख्लाक़ी में सही” या “इन्साफ़ पसन्द ”।
  • “इन्साफ़” का तर्जुमा हो सकता है, “बिना तरफ़दारी के सुलूक” या “लायक़ नतीजा ”।
  • “सच्चा सुलूक” का तर्जुमा हो सकता है, “वफ़ादार सुलूक” या “ वफ़ादार सुलूक”
  • कुछ जुमलों में “सच्चा” का तर्जुमा “मज़हबी” या “खरा” भी हो सकता है।

जुमले के तौर पर, "ना इंसाफ़ी " का तर्जुमा "ग़लत" या "ग़ैर जानदार" या "गलत" के शक्ल में भी किया जा सकता है। ना इंसाफ़ी" जुमले का तर्जुमा "ना इन्साफ़ों " या "ना इंसाफ़ी लोगों" या "जो लोग दूसरों के साथ ग़लत सुलूक करते हैं" या "ग़लत लोग" या "जो लोग ख़ुदा की नाफ़रमानी करते हैं" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है। "ना इंसाफ़ी" लफ़्ज़ का तर्जुमा "ग़लत तरीक़े से" या "ग़लत तरीक़े से" या "ग़लत" के शक्ल में किया जा सकता है। "ना इन्साफ़" का तर्जुमा करने के तरीक़े में "ग़लत ‘इलाज" या ग़लत ‘इलाज " या "ग़लत तरीक़े से सुलूक " शामिल हो सकता है

  • “मज़हबी ठहराना” का दूसरा तर्जुमा है, “(किसी) को मज़हबी का 'एलान करना” या “(किसी) के मज़हबी होने की वजह होना।”
  • लफ़्ज़ "फ़ैसला" का तर्जुमा "मज़हबी ठहराया जा रहा है" या "मज़हबी बनना" या "लोगों को मज़हबी होना" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • "नतीजे के तौर पर " जुमले का तर्जुमा हो सकता है "ताकि ख़ुदावन्द ने कई लोगों को सही ठहराया" या "जिसके नतीजे में ख़ुदावन्द ने लोगों को मज़हबी ठहराया।"
  • "हमारे फ़ैसले के लिए" जुमले के तौर में तर्जुमा किया जा सकता है "ताकि हम ख़ुदा के ज़रिए' मज़हबी बनाया जा सके।"

(यह भी देखें:मु’आफ़ी , जुर्म , मज़हबी लोग) , मुंसिफ़ ,

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें :

  • __17:09__दाऊद ने कई सालों तक इन्साफ़ व वफ़ादारी के साथ हुकूमत किया, और ख़ुदावन्द ने उसे मुबारक बाद दी ।
  • 18:13 कुछ बादशाह अच्छे आदमी भी थे, जिन्होंने सही तौर से हुकूमत किया और ख़ुदावन्द की 'इबादत की।
  • 19:16 उन्होंने लोगों से कहा कि वह दूसरे मा'बूदों की 'इबादत करना बंद कर दे, और दूसरों के लिए इन्साफ़ और उन पर रहम करना शुरू' करें।
  • 50:17 'ईसा अपने मुल्क पर अमन व इन्साफ़ के साथ हुकूमत करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H2555, H3477, H5765, H5766, H5767, H6662, H6663, H6664, H6666, H8003, H8264, H8636, G91, G93, G94, G1342, G1344, G1345, G1346, G1347, G1738