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फ़ैसले का दिन
ता’अर्रुफ़:
“फ़ैसले का दिन” उस मुस्तक़बिल के वक़्त के बारे में है जब ख़ुदा लोगों का इन्साफ़ करेगा।
- ख़ुदा ने अपने बेटे मसीह 'ईसा को सब लोगों का मुंसिफ़ ठहराया है।
- फ़ैसले के दिन मसीह अपने रास्तबाज़ किरदार के तौर पर लोगों का फ़ैसला करेगा।
तर्जुमा की सलाह:
- इसका तर्जुमा “फ़ैसले के दिन” हो सकता है क्यूँकि यह एक दिन से ज़्यादा वक़्त का होगा।
- इस जुमले की दूसरी शक्ल में तर्जुमा हैं “आख़िर वक़्त जब ख़ुदा सब लोगों का इन्साफ़ करेगा।”
- कुछ तर्जुमों में इस जुमले को बड़े हरफ़ों में लिखा जाता है कि इसे ख़ास दिन या वक़्त ज़ाहिर किया जाए। “ इन्साफ़ का दिन” या “ इन्साफ़ का वक़्त ”
(यह भी देखें: इन्साफ़, ‘ईसा, जन्नत, दोज़ख़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H2962, H3117, H4941, G2250, G2920, G2962