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ख़तना करना, ख़तना किया, ख़तना

ता’अर्रुफ़:

ख़तना करने के मा’नी है़ आदमी या बच्चे की अज़ो तनासुल की खाल काट देना। इसी रिश्ते से ख़तना की रस्म को किया जाता था।

  • ख़ुदा ने इब्राहीम को हुक्म दिया था कि उनके साथ बांधी ख़ुदा के ‘अहद के निशान की शक्ल में वह अपने घराने और ख़ादिमों का ख़तना करे।
  • ख़ुदा ने इब्राहीम की नसलों को भी यही हुक्म दिया था कि वे अपने घरों में पैदा हुए हर लड़के के पैदा होने पर ऐसा करना जारी रखें |
  • “दिल का ख़तना” या’नी इन्सान में से गुनाह का “निकलना” या गुनाह से तोबा करना |
  • रूहानी शक्ल में, “ख़तना” उन लोगों के बारे में बताता है जिन्हें ख़ुदा ने ‘ईसा के लहू से गुनाहों से पाक किया और जो उसके लोग हैं।
  • ”ना मख़्तून” के मा’नीहै जिनका जिस्मानी ख़तना नहीं हुआ है। इसका मख़सूस बयान उन लोगों से भी है जिनका रूहानी ख़तना नहीं हुआ है या’नी जिनका रिश्ता ख़ुदा से नहीं है।

“ना मख्तून’और मख्तून “एक मर्द से मुराद है जो जिस्मानी तौर पर संभले हुए नहीं हैं | तम्सीली शक्ल में इसका इस्तेमाल किया जाता है \

  • मिस्र एक मुल्क था और इसकी ज़रूरत थी | लिहाज़ा जब मिस्र के बारे में बात करता है तो “ग़ैरजानदार” की तरफ से शिकस्त दी सकती है, वह लोग जिन लोगों ने मिस्रियों कको ख़तना नहीं किया था उनसे इशारा किया|

किताब-ए-मुक़द्दस उन लोगों से इशारा करता है जो, “ग़ैर जानदार दिल” रखता है या “जो दिल में ग़ैर जानदार” हैं| * किताब-ए-मुक़द्दस उन लोगों को बताता करता है जिनके पास "मासूम दिल" है या जो "दिल में मासूम" हैं।

  • अगर ज़बान में खतना के लिए एक अलफ़ाज़ का इस्ते’माल किया जाता है या पता होता है, तो "नामख़्तून" का तर्जुमा बिना ख़तने का किया जा सकता"
  • बयान के मुताबिक़ पर तमसील "ग़ैरयक़ीनी " का तर्जुमा "जिन लोगों का खतना नहीं हुआ है" या "जो लोग खुदा से जुड़े नहीं हैं" के तौर में तर्जुमा किया जा सकता है।
  • इस लफ़्ज़ की अजीब नफ्सों का तर्जुमा करने के और तरीकों में "ख़ुदा के लोग नहीं" या "उन लोगों की तरह बग़ावत शामिल हो सकते हैं जो ख़ुदा से जुड़ा नहीं हैं" या "जिन लोगों के पास ख़ुदा से मिलाकोई इशारा नहीं है।"
  • तम्सीली "दिल में ना मख्तून" का तर्जुमा "जिद्दी बगावत " या "यक़ीन करने से इंकार कर दिया" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है। हालांकि, अगर मुमकिन हो तो ज़ाहिर या एक तरह रखना बहुत है क्योंकि रूहानी खतना एक ख़ास तसव्वर है।

तर्जुमे की सलाह:

  • अगर मक़्सदी ज़बान में आदमियों का ख़तना किया जाता है तो यहाँ इसी लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जाये |
  • इस लफ्ज़ के और तर्जुमे हो सकते हैं “चारों ओर से काटना”,गोलाई में काटना “ या “आगे की खाल काटना”|
  • जिन रिवायतो में ख़तना नहीं जाना जाता है वहाँ नुक्ता या फ़हरिस्तमें इसका बयान करना ज़रूरी है |
  • वाज़े’ करें कि इसका तर्जुमा औरतों के बारे में न हो| ज़रूरी है की इसका तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ के साथ किया जाये जिससे आदमियों के बारे में ज़ाहिर हो |

(यह भी देखें :अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें : इब्राहीम, मुआ’हदा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 05:03 "आपको अपने घराने में हर आदमी का ख़तना करना चाहिए।"
  • 05:05 उस दिन इब्राहीम ने उसके घर में सभी आदमियों का ख़तना किया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H4135, H4139, H5243, H6188, H6189, H6190, G203, G564, G1986, G4059, G4061