hi_tq/psa/37/35.md

358 B

दुष्ट और बड़े पराक्रमी का क्या होगा?

वह निज भूमि में पल्लवित होते हुए हरे वृक्ष के समान बढ़ता है परन्तु वह ऐसा हो जाएगा जैसा कभी था ही नहीं।