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तफसील

शायरी लफ्जों और धुनों को इस्तेमाल करने का एक तरीका है जिसेसे लोग ज्यादा अच्छी तरह तक़रीर कर पातें हैं और ज्यादा ख़ूबसूरत लिख पातें है I शायरी से लोग दूसरों से , गैर शायराना अंदाज़ की जगह ,गहरे जज्बात के साथ जुड़ पातें है I

शायरी में पाई जाने वाली आम चीज़ें

  • तक़रीर के बहुत से आदाद-ओ-शुमार जैसे हफ्जी .
  • मुतवाज़ी लाइनें (देखें मुतवाज़ी और इसी मअनी के साथ मुतवाज़ी)
  • कुछ या तमाम लाईन की तकरार
  • ** इस की तारीफ़ ,इस की तमाम फ़रिश्तों फ़ौज की तारीफ़ करो, इस की तमाम फ़रिश्तों की तारीफ़ करो, करो, सूरज और चांद उस की तारीफ़ करो, तुम सब सितारे चमकते हो ** (ज़बूर148: 2-3 यू उल्टी
  • इसी लंबाई की लाईन्ज़
  • ** प्यार सब्र दार और दयालु है वो किसी का दुश्मन नहीं है वो घमंड नहीं करता है , हसद या फ़ख़र नहीं करता ये परेशान या बेहद नहीं है ** (1 कर नत्थियों13: 4 यू उल्टी
  • आख़िर में या दो या इस से ज़्यादा लाईनों की इबतिदा में इस्तिमाल की गई आवाज़
  • चमकते हुए छोटे <यु> सितारे <यु> में कैसे समझूँ की तुम क्या हो ( (अंग्रेज़ी शायरी से )
  • इसी धुन को कई मर्तबा दोहराया गया
  • "पीटर, पीटर, कददो खाने (एक अंग्रेज़ी शायरी से
  • पुराने अलफ़ाज़ और इज़हार
  • ड्रामाई तस्वीर
  • ग्रामर के मुख़्तलिफ़ इस्तिमाल बिशमोल
  • ना-मुकम्मल सज़ाएं
  • कंक्रीट अलफ़ाज़ की कमी

अपनी ज़बान में शायरी को देखने के लिए कुछ जगहें

  1. गाने, बच्चों के खेलों में खासतौर पर पुराने गाने, नग़मे या गाना
  2. मज़हबी तक़रीब या पादरीयों या डायन डाक्टरों के माद्दा
  3. दुआ, बरकतें और लानत
  4. पुरानी किंवदंतियों

ख़ूबसूरत या पसंदी तक़रीर

ख़ूबसूरत या फ़ांससी तक़रीर शायरी की तरह ही है जिसमें ख़ूबसूरत ज़बान का इस्तिमाल होता है, Iलेकिन ये शायरी की तमाम ख़सुसीआत को इस्तिमाल नहीं करता I और ये उनकी ज़्यादा-तर शायरी के तौर पर इस्तिमाल नहीं करता I ज़बान में मक़बूल बोलने वाले अक्सर ख़ूबसूरत तक़रीर का इस्तिमाल करते हैं, और ये मुम्किना तौर पर आपकी ज़बान में तक़रीर किस तरह बयान होती है है तलाश करने के लिए सबसे आसान ज़रीया है I

वजूहात ये एक तर्जुमा का मसला है

  • मुख़्तलिफ़ ज़बानों मुख़्तलिफ़ चीज़ों के लिए शायरी का इस्तिमाल करते हैं I अगर शाय्राराना शक्ल आपकी ज़बान में इसी मअनी से मुत्तफ़िक़ ना हो तो आपको शायरी के बग़ैर इसे लिखने की ज़रूरत होगी I
  • कुछ ज़बानों में, बाइबल के एक ख़ास हिस्से के लिए शायरी का इस्तिमाल क उसे ज़्यादा ताक़तवर बनाने के लिए होता है I

बाइबल की मिसाल

बाइबल गाने, तालीम, और पैशन गोई के लिए शायरी का इस्तिमाल करता है इ पुराने अह्दनामा की तमाम किताबें में शायरी हैं और बहुत सारे किताबें मुकम्मल तौर पर शायरी हैं

क्योंकि आपने मेरी मुसीबत देखी आपको मेरी रूह की तकलीफ़ जानते थे (ज़बूर31: 7 यू उल्टी )

ये मिसाल इसी मअनी के साथ मुतवाज़ी मैं दो लाइनें हैं जो इस का मतलब हैख़ुदावंद, क़ौमों का फ़ैसला करो

याह्वेह मेरा फैसला करें मुझे शाहे शाबित करें , क्योंकि में नेक और मासूम हूँ , ऊपर वाले

हम-आहंगी का ये मिसाल , दो मुकलिफ को दिखता है एक की डेविड खुदा से उसके लिए क्या चाहता है और वो खुदा बदनीयत देशों के साथ क्या करें ?

अपने ख़ादिम को भी ज़बरदस्त गुनाहों से दूर रखू इन पर मुझ पर क़ाबू पाने दो (ज़बूर19:13 यू उल्टी

इन्फ़िरादी तौर पर ये मिसाल गुनाहों की बात करती है जैसे वो किसी शख़्स पर क़ाबू पाते हैं (मुलाहिज़ा करें शख़्सियत ) ओह, ख़ुदावंद की शुक्र करो क्योंकि वो अच्छा है, क्योंकि उस के अह्द वफ़ादार हमेशा उसे चाहते हैं

ओह, ख़ुदा के ख़ुदा की शुक्र अदा करो क्योंकि उस के अह्द वफ़ादार हमेशा हमेशा रहता है ओह, रब के मालिकों का शुक्रिया अदा करो क्योंकि उस के अह्द वफ़ादार हमेशा उसे चाहते है (ज़बूर136: 1-3 यू उल्टी

इस मिसाल के तौर पर "शुक्रिया अदा करें और "उनके अह्द वफ़ादार हमेशा हमेशा रहता है.

तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली

अगर माख़ज़ के मतन में इस्तिमाल होने वाली शायरी की तर्ज़ क़ुदरती होगी और आपकी ज़बान में सही मअनी देगी तो इस का इस्तिमाल करें अगर नहीं, तो यहां तर्जुमा करने के कुछ तरीक़े हैं

  1. शायरी की अपनी शैलियों में से एक का इस्तिमाल करते हुए शायरी का तर्जुमा करें
  2. शायरी की ख़ूबसूरत मिज़ाज की अपनी तर्ज़ का इस्तिमाल करते हुए तर्जुमा करें
  3. आम तक़रीर की अपनी तर्ज़ का इस्तिमाल करते हुए शायरी का तर्जुमा करें

अगर आप शायरी इस्तिमाल करते हैं तो ये बहुत ख़ूबसूरत हो सकती है

अगर आप आम तक़रीर का इस्तिमाल करते हैं तो ये ज़्यादा वाज़िह हो सकता है

लागू तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली की मिसालें

मुबारक हो वो आदमी जो बदकारों की मश्वरा में नहीं चलता है या गुना-गारों के साथ राह में खड़े हो जाओ या मज़ाक़ की असैंबली में बैठो लेकिन इस की ख़ुशी रब के क़ानून में है और इस के क़ानून पर वो दिन और रात का ख़्याल रखता है (ज़बूर1: 1،2 यू उल्टी

मुंदरजा ज़ैल मिसाल हैं कि लोग कैसे ज़बूर1: 1،2 तर्जुमा कर सकते हैं

  1. शायरी की अपनी शैलियों में से एक का इस्तिमाल करते हुए शेरों का तर्जुमा करें (इस मिसाल के अंदाज़ में अलफ़ाज़ हैं जो हर लाईन के इख़तताम में इसी तरह की आवाज़ है.

"मुबारक है जिस शख़्स ने u> गुनाह से नहीं हौसला-अफ़ज़ाई की है / u> ख़ुदा के लिए नापसंदीदा है वो नहीं / u> शुरू करेंगे इन लोगों के लिए जो ख़ुदा पर हँसने लगे वो वो नहीं है ख़ुदा उस की मुसलसल <ख़ुशी / u> है वो वही करता है जो ख़ुदा कहते हैं u> सही है / u> वो पूरे दिन u> और रात / u> सोचता है

  1. ख़ूबसूरत तक़रीर की अपनी तर्ज़ का इस्तिमाल करते हुए शायरी का तर्जुमा करें
  • ये एक ऐसा शख़्स है जो वाक़ई बर मंद है जो बदकार लोगों के मश्वरा पर अमल नहीं करती, या गुना-गारों से बात करने के लिए रोका या निहायत ख़ुदा के साथ मिलने वाला है बल्कि वो ख़ुदावंद के क़ानून में बहुत ख़ुशी लाता है, और वो दिन और रात इस पर ग़ौर करता है
  1. आम तक़रीर की अपनी तर्ज़ का इस्तिमाल करते हुए शायरी का तर्जुमा करें
  • जो लोग बुरा लोगों के मश्वरा सुनते नहीं हैं वो वाक़ई ख़ुश हैं I वो ऐसे लोगों के साथ वक़्त नहीं देते जो मुसलसल बुरी चीज़ें करते हैं या उन लोगों के साथ जो ख़ुदा की इज़्ज़त नहीं करते हैं I वो रब के क़ानून की इताअत करने से मुहब्बत करते हैं, और वो हरवक़त उस के बारे में सोचते हैं I