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तआरीफ़

तर्जुमा मुख्तलिफ़ ज़बानों के माबीन अन्जाम दिया जाने वाला अमल है जिसमे किसी शख्स (मुतर्जिम) को उस मानी को समझने की ज़रुरत होती है जिस का मुसन्निफ़ या ख़तीब माख़ज़ ज़बान में असल सामअीन को इत्तिला करने का इरादा रखता था, और फिर उसी मानी को मुख्तलिफ़ सामअीन के साथ हदफ़ ज़बान में बयान करना।

ज़ियादातर वक़्त तर्जुमा को इस तरह से काम करना चाहिए, लेकिन बाज़ औक़ात बाज़ तर्जुमों के दीगर मक़ासिद होते हैं, जैसे किसी माख़ज़ ज़बान की शक्ल को दोबारा पेश करना, जैसा के हम जैल में देखेंगे।

बुनियादी तौर पर दो क़िस्म के तर्जुमे होते हैं: लफ्ज़ी और मुतहरक (या मानी पर मबनी).

  • लफ्ज़ी तर्जुमे माख़ज़ ज़बान में हदफ़ ज़बान की अल्फ़ाज़ के साथ उन अल्फ़ाज़ की नुमाइंदगी पर तवज्जो मरकूज़ करते हैं, जिनके बुनियादी मानी यकसां होते हैं। वो ऐसे जुमले भी इस्तेमाल करते हैं जिनमें माख़ज़ ज़बान में जुमले की तरह के साख्त होते हैं। इस तरह का तर्जुमा कारी को माख़ज़ मतन की साख्त को देखने की इजाज़त देता है, लेकिन यह कारी के लिए माख़ज़ मतन के मानी को समझना मुश्किल या नामुमकिन बना सकता है।
  • मुतहरक, मानी पर मबनी तर्जुमे माख़ज़ ज़बान के जुमले के मानी की इसके क़रीने में नुमाइंदगी पर तवज्जो मरकूज़ करते हैं, और हदफ़ की ज़बान में उस मानी को पहुंचाने के लिए जो भी अल्फ़ाज़ और फ़िक़रे के साख्त सब से मुनासिब हैं उनका इस्तेमाल करेंगे। इस तरह के तर्जुमे का मक़सद माख़ज़ मतन के मानी को कारी के लिए समझना आसान बनाना है। इस तर्जुमा दस्ती में दूसरे ज़बान (OL) के तर्जुमों के लिए इसी क़िस्म के तर्जुमे मशवरा दिया गया है।

ULT को लफ्ज़ी तर्जुमा होने के लिए तश्कील दिया गया है, ताके OL मुतर्जिम असल बाईबल ज़बानों की सूरतें देख सकें। UST को मुतहरक तर्जुमा होने के लिए तश्कील दिया गया है, ताके OL मुतर्जिम बाईबल में इस सूरतों के मानी समझ सके। इन वसाएल का तर्जुमा करते वक़्त, बराह करम ULT का लफ्ज़ी अन्दाज़ में तर्जुमा करें और UST का मुतहरक अन्दाज़ में तर्जुमा करे। इन वसाएल के बारे में मज़ीद मालूमात के लिए, देखें गेटवे ज़बान दस्ती.