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दुरुस्त तर्जुमह

इंजील का दुरुस्त तर्जुमह तैयार करने का मतलब तर्जुमह वही पैगाम दे जो माखज़ हो. कुछ तरीके इताअद करें:

  • जुज़ के मायने दरयाफ्त करना.
  • मरकज़ इरादे को पहचानिए.
  • मुसन्निफ़ के पैगाम को ज़हन में रखकर तर्जुमह करो.

मायने दरयाफ्त करो

पहेले, मायने दरयाफ्त करने के लिए हर जुज़ को कई बार पढ़ें. ट्रांसलेशन स्टूडियो में मौजूद इंजील के दोनों तर्जुमेह इस्तेमाल करो: अन्फोल्डिंग वर्ड सिम्पलीफाईड टेक्स्ट और अन्फोल्डिंग वर्ड लिटरल टेक्स्ट. और ट्रांसलेशन वर्ड्स और ट्रांसलेशन नोट्स की वज़ाहत भी पढ़ लेना.

पहेले अन्फोल्डिंग वर्ड लिटरल टेक्स्ट को पढ़ें

चाहे तुम कोई भी शहर में दाखिल हो, और वो तुम्हारी खुश आमदीद करें, खाओ जो कुछ तुम्हारे आगे रखा जाए, और वहां जो बीमार हो उनका इलाज करो. उनसे कहो,”खुदा की सलतनत तुम्हारे करीब आई है.” (ल्यूक १०:८-९ यूएलटी)

ट्रांसलेशन हेल्प्स: के अन्फोल्डिंग वर्ड सिम्पलीफाईड टेक्स्ट में देखें

जब कभी तुम किसी शहर में दाखिल हो और वहां के लोग तुम्हारा खैर मकदम करें, वो जो कुछ भी मुहय्या कराएं उसे खा लो. और वहां जो लोग बीमार हो उनका इलाज करो. उनसे कहो,’खुदा की सलतनत ठीक तुम्हारे करीब है.(ल्यूक १०:८-९ यूएसटी)

क्या तुमने कुछ इख्तेलाफी पर तवज्जो दी? हर इंजील के तरजुमह के अल्फाजों में कुछ इख्तेलाफी होती है.

क्या तुम्हारे दरयाफ्त के मायने बराबर है? दोनों ही तरजुमेह में इस्सा मसीह खास तदरीस दे रहे हैं, और वो एक जैसे तदरीस हैं. दोनों ही तर्जुमेह दुरुस्त हैं.

मरकज़ इरादे को पहचानिए

फिर, जुज़ के मायने दरयाफ्त करने के बाद, तुम्हे मरकज़ इरादे की पहचान करना चाहिए.

खुद से पूछिए,” मुसन्निफ़ ये क्यों लिख रहा है, और वो इन चीजों के बारे में कैसा महसूस करता है?

ल्यूक १० जुज़ को दोबारा देखें. तुम्हे क्या लगता है मुसन्निफ़ ये सब क्यों लिख रहा है? तुम क्या सोचते हो के मुसन्निफ़ जो लिखता है वो उसके बारे में क्या महसूस करता है? तुम क्या सोचते हो? जुज़ को कई बार पढने के बाद, इन सवालों का जवाब दो:

  • क्या हो रहा है?इसा मसीह ने हिदायत दी.
  • कब और कहाँ ये चीजें हुई?इन सवालों का जवाब देने के लिए, इसके पहले क्या हुआ ये तुम्हे याद रखना होगा. पहले ल्यूक लिखता है के इसा मसीह और उनके सहाबा यरुसलिम जा रहे हैं, और बाब १० शुरू होता है जहाँ इसा मसीह तबलीग के लिए ७२ लोगों को बाहर भेजते हैं.

इस जुज़ में कौन शामिल है?इसा मसीह और ७२ लोग जिन्हें उन्होंने बाहर भेजा. ७२ लोगों को बाहर क्यों भेजा गया?बीमारों का इलाज करने और सभी को ये बताने के खुदा की सलतनत उनके नजदीक है.

मुसन्निफ़ का पैगाम

आख़िर में, सोर्स के अल्फाज़ को दुरुस्ती से तरजुमह करने के लिए असल हाजरीन का ख्याल होना चाहिए और मुसन्निफ़ का पैगाम.

क्या तुम्हे लगता है के मुसन्निफ़ के पास कुछ कास चीजें थी जिससे पढने वाले को पता चले? याद रहे हमने क्या सोचा था के मुसन्निफ़ की मरकजी सोच क्या थी? मरकजी सोच थी:

  • हिदायत जो इसा मसीह ने दिया
  • के वो ७२ लोग जिन्हें इसा मसीह ने बाहर भेजा था उनके पास बीमारों का इलाज करने के ताकत होगी
  • के वो औरों को कहेंगे के खुदा की सलतनत पास है

असल हाजरीन के लिए ये पैगाम है. वही पैगाम को अपने ज़हन में साफ़ साफ़ हदफी ज़बान में आने दें.

जुज़ को देखो और सोचो तुम अपनी ज़बान में इसे दुसरो को कैसे बताओगे. इस आगाज़ी तर्जुमेह को लिखते जाएँ. अपनी ज़बान के मुताबिक हुरूफ़ इस्तेमाल करें.

**याद रखें.**तरजुमह करना यानी दोबारा कहना, जितना हो सके उतना दुरुस्त, साफ़ और कुदरती तरीके से असल पैगाम के मायने सामने वाले की ज़बान में.