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#### बयान
बाज़ ज़बानों में, जुमले जो एक इस्म में तरमीम करते हैं, इस्म के साथ दो मुख्तलिफ़ मक़ासद के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं। वो या तो इस्म को दीगर यकसां क़िस्म से जुदा कर सकते हैं, या वो इस्म की बाबत मज़ीद मालूमात दे सकते हैं। यह मालूमात कारअीन के लिए नई हो सकती है, या किसी चीज़ की बाबत याद दहानी जो कारी को पहले से मालूम हो सकती है। दूसरी ज़बानें इस्म को सिर्फ़ दीगर यकसां चीज़ों से फ़र्क करने के लिए इस्म के साथ तरमीम करने वाले जुमले इस्तेमाल करती हैं। ये ज़बानें बोलने वाले लोग जब एक इस्म के साथ तरमीम करने वाले जुमले को सुनते हैं, वो फ़र्ज़ करते हैं के इस का काम एक चीज़ को उसी तरह की दूसरी चीज़ से जुदा करना है।
बाज़ ज़बानें यकसां चीज़ों और एक चीज़ की बाबत मज़ीद मालूमात देने के दरमियान फ़र्क की निशानदेही के लिए कोमा का इस्तेमाल करती हैं। कोमा के बगैर, नीचे दिए गए जुमले से यह बात वाज़े हो जाती है के यह इम्तियाज़ी सुलूक कर रहा है:
* मरियम ने कुछ खाना <u>अपनी बहन को जो बहुत शुक्रगुज़ार थी</u>दिया।
* अगर उसकी बहन आमतौर पर शुक्रगुज़ार थी, तो जुमला “जो शुक्रगुज़ार थी” मरियम की **इस बहन को फ़र्क** कर सकता था उससे जो आमतौर पर शुक्रगुज़ार नहीं थी।
कोमा के साथ, जुमला मज़ीद मालूमात दे रहा है:
* मरियम ने कुछ खाना <u>अपनी बहन को, जो बहुत शुक्रगुज़ार थी</u>दिया।
* इसी जुमले का इस्तेमाल मरियम की बहन की बाबत हमें मज़ीद मालूमात देने के लिए किया जा सकता है। यह हमें बताता है के **मरियम की बहन ने किस तरह जवाब दिया** जब मरियम ने उसे खाना दिया। इस सूरत में यह एक बहन से दूसरी बहन को फ़र्क नहीं करता है।
### वजूहात के यह एक तर्जुमा का मसअला है
* बाईबल की कई माख़ज़ ज़बानें ऐसे जुमलों का इस्तेमाल करती हैं जो इस्म को तरमीम करती हैं **दोनों** के लिए, इस्म को दूसरे यकसां चीज़ से फ़र्क करने के लिए और इस्म की बाबत मज़ीद मालूमात देने के लिए **भी**। मुतर्जिम को यह समझने में मोहतात रहना चाहिए के हर एक सूरत में मुसन्निफ़ का इरादा किस मानी से था।
* बाज़ ज़बानें ऐसे जुमलों का इस्तेमाल करती हैं जो एक इस्म को तरमीम करती हैं **सिर्फ़** इस्म को दूसरे यकसां चीज़ से फ़र्क करने के लिए। जब किसी ऐसे जुमले का तर्जुमा करते हो जिसका इस्तेमाल मज़ीद मालूमात के लिए किया जाता है, तो वह लोग जो ये ज़बानें बोलते हैं, उन्हें जुमले को इस्म से अलग करने की ज़रुरत होगी। वरना, जो लोग इसे पढ़ते या सुनते हैं वो यह सोचेंगे के इस जुमले का मक़सद इस्म को दूसरी ऐसी ही चीज़ों से फ़र्क करना है।
### बाईबल से मिशालें
**अल्फ़ाज़ और जुमलों की मिशालें जो एक चीज़ से दूसरी मुमकिन चीज़ों को फ़र्क करने के लिए इस्तेमाल होती हैं**: ये आमतौर पर तर्जुमे में दुश्वारी का सबब नहीं बनते हैं।
>... ये पर्दा <u>पाक मक़ाम</u> को <u>पाकतरीन मक़ाम</u> से अलग करेगा। (ख़ुरूज 26:33 ULT)
अल्फ़ाज़ “पाक” और “पाकतरीन” दो मुख्तलिफ़ मक़ामात को एक दूसरे से फ़र्क करते हैं।
>अहमक़ बेटा अपने बाप के लिए ग़म, और <u>उस औरत के लिए जिसने उसे जनम दिया</u> तल्खी है। (अम्साल 17:25 ULT)
जुमला “जिसने उसे जनम दिया” तमीज़ करता है के बेटा किस औरत के लिए तल्खी है। वह तमाम औरतों के लिए तल्खी नहीं, बल्के अपनी माँ के लिए है।
** अल्फ़ाज़ और जुमलों की मिशालें जो किसी चीज़ की बाबत इज़ाफ़ी मालूमात या याद दहानी फ़राहम करने के लिए इस्तेमाल होती हैं**: ये उन ज़बानों के लिए तर्जुमा का मसअला है जो इनको इस्तेमाल नहीं करती हैं।
>... क्योंके <u>तेरे रास्त फ़ैसले</u> भले हैं। (ज़बूर 119:39 ULT)
लफ्ज़ “रास्त” हमें सिर्फ़ यह याद दिलाता है के ख़ुदा के फ़ैसले सादिक़ हैं। यह उसके रास्त फैसलों को नारास्त फैसलों से फ़र्क नहीं करता है, क्योंके उसके सारे फ़ैसले रास्त हैं।
>क्या सारा, <u>जो नब्बे बरस की है</u>, औलाद पैदा कर सकती है? पैदाइश 17:17-18 ULT)
जुमला “जो नब्बे बरस की है” वजह है के अब्राहम ने यह नहीं सोचा था के सारा औलाद पैदा कर सकती है। वह सारा नाम की एक औरत को दूसरी सारा नाम की औरत जिसकी उमर मुख्तलिफ़ थी से फ़र्क नहीं कर रहा था, और वह किसी को उसकी उमर की बाबत कुछ नया नहीं बता रहा था। उसने महज़ यह नहीं सोचा था के एक औरत जो इतनी बूढ़ी थी वह बच्चा पैदा कर सकती थी।
>मैं इन्सान को <u>जिसे मैंने पैदा किया</u> रू-ए-ज़मीन पर से मिटा दूँगा। (पैदाइश 6:7 ULT)
जुमला “जिसे मैंने पैदा किया” ख़ुदा और इन्सान के दरमियान ताल्लुक़ात की याद दहानी है। यही वजह है के ख़ुदा को इंसानों को मिटा देने का हक़ था। दूसरा कोई इन्सान नहीं है जिसे ख़ुदा ने पैदा नहीं किया।
### तर्जुमा की हिकमत ए अमली
अगर लोग इस्म के साथ किसी जुमले का मक़सद समझें, फिर जुमला और इस्म को एक साथ रखने पर गौर करें। उन ज़बानों के लिए जो अल्फ़ाज़ या जुमलों का इस्म के साथ इस्तेमाल सिर्फ़ एक चीज़ को दूसरे से फ़र्क करने के लिए करती हैं, यहाँ बाज़ हिकमत ए अमली हैं उन जुमलों के तर्जुमे के लिए जो इत्तिला देने या याद दिलाने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं।
1. मालूमात को जुमले के एक और हिस्से में रख्खें और ऐसे अल्फ़ाज़ शामिल करें जो इसका मक़सद ज़ाहिर करें।
यह बताने के लिए अपनी ज़बान का एक तरीक़ा इस्तेमाल करें के यह अभी शामिल की गयी मालूमात है। यह एक छोटा सा लफ्ज़ शामिल करके या जिस तरीक़े से बोलने की आवाज़ आती है उसे बदलने के ज़रिए हो सकता है।
### तर्जुमे की लागू की गयी हिकमत ए अमली की मिशालें
1. मालूमात को जुमले के एक और हिस्से में रख्खें और ऐसे अल्फ़ाज़ शामिल करें जो इसका मक़सद ज़ाहिर करें।
* **मैं उनसे नफ़रत करता हूँ जो <u>बेकार</u> बुतों की ख़िदमत करते हैं** (ज़बूर 31:6 ULT) “बेकार बुतों” कहने के ज़रिए, दाऊद तमाम बुतों के बारे में तब्सरे कर रहा था और उनकी ख़िदमत करने वालों से नफ़रत करने की अपनी वजह बता रहा था। वह बेकार बुतों को क़ीमती बुतों से फ़र्क नहीं कर रहा था
* <u>क्योंके</u> बुत बेकार हैं, मैं उनसे नफ़रत करता हूँ जो उनकी ख़िदमत करते हैं।
* **... क्योंके तेरे <u>रास्त</u> फ़ैसले भले हैं।** (ज़बूर 119:39 ULT)
* ... तेरे फ़ैसले भले है <u>क्योंके</u> वो रास्त हैं।
* क्या सारा, <u>जो नब्बे बरस की है</u>, औलाद पैदा कर सकती है? पैदाइश 17:17-18 ULT) जुमला “जो नब्बे बरस की है” सारा के उमर की याद दहानी है। यह बताता है के अब्राहम सवाल क्यों पूछ रहा था। उसने उम्मीद नहीं की थी के एक औरत जो इतनी बूढ़ी थी, बच्चा पैदा कर सकती थी।
* क्या सारा औलाद पैदा कर सकती है <u>यहाँ तक के जब</u> वो नब्बे बरस की है?
* **मैं ख़ुदावन्द को पुकारूँगा, <u>जो सिताइश के लाइक है</u>** (2 समुएल 22:4 ULT) ख़ुदावन्द सिर्फ़ एक है। जुमला “जो सिताइश के लाइक है” ख़ुदावन्द को पुकारने की वजह देता है।
मैं ख़ुदावन्द को पुकारूँगा, <u>क्योंके</u> वह सिताइश के लाइक है
1. यह बताने के लिए अपनी ज़बान का एक तरीक़ा इस्तेमाल करें के यह अभी शामिल की गयी मालूमात है।
* **तू मेरा बेटा है, <u>जिसे मैं प्यार करता हूँ</u> मैं तुझ से ख़ुश हूँ।** (लूका 3:22 ULT)
* **तू मेरा बेटा है, <u>मैं तुझसे प्यार करता हूँ</u> और मैं तुझ से ख़ुश हूँ।**
* <u>मेरी महब्बत को हासिल करना</u>, तू मेरा बेटा है। मैं तुझ से ख़ुश हूँ।