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जाँच करने के लिए चीज़ों की क़िस्में

  1. किसी भी चीज़ की बाबत पूछें जो आपको सहीह न लगती हो, ताके तर्जुमा टीम इसकी वज़ाहत कर सके। अगर यह उन्हें भी सहीह नहीं लगता, तो वो तर्जुमे को तरतीब दे सकते हैं। आम तौर पर:

  2. ऐसी किसी भी चीज़ की जाँच करें जो इज़ाफ़ा किया हुआ लगता है, जो माख़ज़ मतन के मानी का हिस्सा नहीं था। (याद रख्खें, असल मानी में भी मफ़हूम मालूमात.) शामिल होते हैं।

  3. ऐसी किसी भी चीज़ के लिए जाँच करें जो ग़ायब हुआ लगता हो, जो माख़ज़ मतन के मानी का हिस्सा था मगर तर्जुमे में शामिल नहीं किया गया।

  4. ऐसे किसी भी मानी के लिए जाँच करें जो माख़ज़ मतन के मानी के मुक़ाबले मुख्तलिफ़ लगता हो।

  5. इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए जाँच करें के मरकज़ी नुक़ता या क़तआ का मौज़ूअ वाज़े है। क़तआ जो कह रहा है या तालीम दे रहा है, तर्जुमा टीम को उसका ख़ुलासा करने के लिए कहें। अगर वो बुनियादी नुक़ते के तौर पर कोई मामूली नुक़ता चुनते हैं तो, हो सकता है उन्हें उस तरीक़े को तरतीब देने की ज़रुरत हो जिससे उन्होंने क़तआ को तर्जुमा किया है।

  6. जाँच करें के क़तआ के मुख्तलिफ़ हिस्से सहीह तरीक़े से मुन्सलिक हैं यानी बाईबल क़तआ के वजूहात, इज़ाफ़े, नतीजे, आक़ीबतें, वगैरा हदफ़ ज़बान में मुनासिब मवासल के साथ निशानज़द किये गए हैं।

  7. तर्जुमाअल्फ़ाज़ की यकसानियत के लिए जाँच करें, जिस तरह तौसीक़ जाँच के लिए इक़दामात के पिछले हिस्से में वज़ाहत किया गया है। पूछें के किस तरह उस तहज़ीब में हर शराअत इस्तेमाल किया जाता है शराअत का इस्तेमाल कौन करता है, और किस मौक़ों पर। यह भी पूछें के कौन से दीगर शराअत यकसां हैं और यकसां शराअत के दरमियान इख्तलाफात क्या हैं। ये मुतर्जिम को यह देखने में मदद करता है के क्या बाज़ शराअत के नापसन्दीदा मानी हो सकते हैं, और यह देखने में के कौन सी शराअत बेहतर हो सकती है, या क्या उन्हें मुख्तलिफ़ क़रीनों में मुख्तलिफ़ शराअत इस्तेमाल करने की ज़रुरत हो सकती है।

  8. तर्ज़ ए इज़हार की जाँच करें। बाईबल मतन में जब कोई तर्ज़ ए इज़हार हो तो, यह देखें के इसे किस तरह तर्जुमा किया गया है और यक़ीनी बनाएँ के यह उसी मानी का इत्तिला देता है। तर्जुमे में जहाँ तर्ज़ ए इज़हार हो तो, यह यक़ीनी बनाने के लिए जाँच करें के यह उसी मानी का इत्तिला देता है जो बाईबल मतन में है।

  9. यह देखने के लिए जाँच करें के तजरीदी ख़यालात किस तरह तर्जुमा किये गए थे, जैसे महब्बत, मुआफ़ी, ख़ुशी, वगैरा। इनमें से कई कलीदी अल्फ़ाज़ भी हैं।

  10. उन चीज़ों या तरीक़ों का तर्जुमा जाँच करें जो हदफ़ की तहज़ीब में नामालूम हो सकती हैं। तर्जुमा टीम को इन चीज़ों की तस्वीरें दिखाना और उनको वज़ाहत करना के वो क्या हैं, बहुत मददगार है।

  11. रूहानी दुनिया की बाबत अल्फ़ाज़ और वो हदफ़ की तहज़ीब में किस तरह समझी जाती हैं, इस पर गुफ़्तगू करें। यक़ीनी बनाएँ के तर्जुमे में जिन्हें इस्तेमाल किया गया है वो सहीह चीज़ का इत्तिला देती हैं।

  12. ऐसी किसी भी चीज़ की जाँच करें जो आपको लगता है के क़तआ में ख़ास तौर से समझने या तर्जुमा करने में मुश्किल हो सकती हैं।

इस तमाम चीज़ों को जाँचने और सहीह करने के बाद, इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए के अभी भी हर चीज़ का बहाव क़ुदरती है और सहीह मवासल का इस्तेमाल करती है, तर्जुमा टीम को लें के वो क़तआ को एक दूसरे को या उनकी बिरादरी के दूसरे अरकान को बुलन्द आवाज़ में दोबारा पढ़ें। अगर किसी इस्लाह से कोई चीज़ ग़ैर क़ुदरती लगती है तो, उन्हें तर्जुमे में इज़ाफ़ी तरतीब करने की ज़रुरत होगी। जाँच और नज़रसानी के इस अमल को उस वक़्त तक दोहराना चाहिए जब तक के हदफ़ की ज़बान में तर्जुमा वाज़े और क़ुदरती तौर पर इत्तिला न करे।