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तौसीक़ की जाँच के लिए सफ़बन्दी टूल का इस्तेमाल

  1. तर्जुमाकोर में बाईबल की उस किताब का तर्जुमा लोड करें जिसकी आप जाँच करना चाहते हैं।
  2. लफ्ज़ सफ़बंदी टूल को चुनें।
  3. बाईं तरफ़ अबवाब और आयात मेनू का इस्तेमाल करते हुए नेविगेट करें।
  • जब आप मेनू फ़ेहरिस्त में किसी आयत पर इसे खोलने के लिए क्लिक करते हैं, तो उस आयत के अल्फ़ाज़ उमूदी फ़ेहरिस्त में ज़ाहिर होते हैं, ऊपर से नीचे तक तरतीब में, अबवाब और आयात की फ़ेहरिस्त के बिल्कुल दाएँ तरफ़। हर लफ्ज़ एक अलग ख़ाने में होता है।
  • उस आयत के लिए अस्ल ज़बान (यूनानी, इब्रानी, या अरामी) मतन के अल्फ़ाज़ भी अलग ख़ाने में हदफ़ ज़बान लफ्ज़ फ़ेहरिस्त के दाएँ तरफ़ एक हल्क़े में होते हैं। हर एक अस्ल ज़बान लफ्ज़ के ख़ाने के नीचे एक जगह है जिसे नुक़्तादार लकीर के साथ ख़ाका किया गया है।
  1. हर आयत में, हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ को लफ्ज़ बैंक में अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ के नीचे की जगह तक खींचें जो एक ही मानी बयान करते हैं।
  • लफ्ज़ को खींचने के लिए, क्लिक करें और बटन को दबाये रखें जैसा के आप हदफ़ ज़बान के हर एक लफ्ज़ ख़ाने को माख़ज़ (अस्ल) मतन के लफ्ज़ ख़ाने के नीचे की जगह में मुन्तक़िल करते हैं जिससे वह लफ्ज़ मुताबिक़त रखता है।
  • जब हदफ़ ज़बान का लफ्ज़ असल के लफ्ज़ ख़ाने के ऊपर हो, तो नुक़्तादार ख़ाका आपको यह बताने के लिए नीला हो जायेगा के लफ्ज़ वहीं छूट जायेगा। अगर आप ग़लती करते हैं या फैसला करते हैं के हदफ़ लफ्ज़ का ताल्लुक़ किसी और जगह से है तो, सिर्फ़ इसे दोबारा से वहीं खींचे जहाँ से इसका ताल्लुक़ है। हदफ़ ज़बान के अल्फ़ाज़ भी वापस फ़ेहरिस्त में खींचे जा सकते हैं।
  • अगर किसी आयत में दोहराए गए अल्फ़ाज़ हों, तो इस बात को यक़ीनी बनाएँ के सिर्फ़ वही अल्फ़ाज़ खींचे जाएँ जो अस्ल ज़बान आयत के उस हिस्से के मानी से ताल्लुक़ रखते हैं। फिर दोहराए गए अल्फ़ाज़ को अस्ल आयत के उस जगह खींचें जहाँ उस मानी को दोहराया गया है।
  • जब किसी आयत में एक ही हदफ़ ज़बान लफ्ज़ एक से ज़ियादा दफ़ा आते है तो, लफ्ज़ के हर मौक़े पर एक छोटा अलामत नंबर इसके बाद होगा। यह नंबर हर एक हदफ़ लफ्ज़ की सहीह अस्ल लफ्ज़ के साथ सहीह तरतीब में सफ़बन्दी करने में आपकी मदद करेगा।
  • ऐसे अल्फ़ाज़ के गिरोह बनाने के लिए जिनके मानी मसावी हैं आपको अस्ल ज़बान लफ्ज़ और/या हदफ़ ज़बान लफ्ज़ को मुत्तहिद करने की ज़रुरत हो सकती है। सफ़बन्दी का मक़सद हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ के सबसे छोटे गिरोह को अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ के सबसे छोटे गिरोह से मिलाना है जिनके मानी यकसां हैं।

जब आप इस अमल को एक आयत के लिए खत्म कर लिए हों तो, यह देखना आसान हो जाना चाहिए के क्या ऐसे कोई अल्फ़ाज़ हैं जो किसी में, हदफ़ लफ्ज़ बैंक या अस्ल ज़बान पेन में छूट गए हैं।

  • अगर हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ छूट गए हैं, इसका मतलब हो सकता है के किसी ऐसी चीज़ का इज़ाफ़ा किया गया है जिसका तर्जुमे से ताल्लुक़ नहीं है। अगर छूटे हुए अल्फ़ाज़ मफ़हूम मालूमात बयान कर रहे हों, तब वो वाक़ई में ज़ायद नहीं हैं और उस लफ्ज़ या अल्फ़ाज़ जिसकी वो वज़ाहत कर रहे हैं उनके साथ सफ़बन्द किये जा सकते हैं।
  • अगर असल ज़बान अल्फ़ाज़ छूट गए हैं, इसका मतलब हो सकता है के तर्जुमे में इन अल्फ़ाज़ का तर्जुमा शामिल करने की ज़रुरत है।
  • अगर आप तअीन करते है के तर्जुमे में ऐसे अल्फ़ाज़ हैं जो इसमें नहीं होने चाहिए या असल मतन के बाज़ अल्फ़ाज़ ग़ायब हैं, तब किसी को तर्जुमे की तरमीम करने की ज़रुरत होगी। आप या तो किसी और को बताने के लिए तब्सरा कर सकते हैं के तर्जुमे में क्या ग़लत है, या आप तर्जुमे को बराह रास्त तौर पर सफ़बन्दी टूल में तरमीम कर सकते हैं।

सफ़बन्दी का फ़लसफ़ा

सफ़बन्दी टूल एक से एक, एक से बहुत, बहुत से एक, और बहुत से बहुत सफ़बन्दी की हिमायत करता है। इसका मतलब है के एक या ज़ियादा हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ एक या ज़ियादा असल ज़बान अल्फ़ाज़ के साथ सफ़बन्द किये जा सकते हैं, जिस तरह दोनों ज़बानों के ज़रिये मुन्तकिल मानी का इन्तहाई दुरुस्त सफ़बन्दी हासिल करने के लिए ज़रूरी है। इस बात की परवाह न करें अगर हदफ़ ज़बान कुछ बयान करने के लिए अस्ल ज़बान के मुक़ाबले कम ओ बेश अल्फ़ाज़ इस्तेमाल करता है। क्योंके ज़बानें मुख्तलिफ़ हैं, इसकी तवक्को की जानी चाहिए। सफ़बन्दी टूल से, हम मानी को सफ़बन्द करते हैं, सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं। यह सबसे अहम है के हदफ़ तर्जुमा असल बाईबल के मानी को अच्छी तरह बयान करे, इसमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है के यह करने के लिए कितने अल्फ़ाज़ लगते हैं। हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ जो असल ज़बान मानी का बयान करते हैं, को सफ़बन्द करने के ज़रिए, हम देख सकते हैं के तर्जुमे में असल ज़बान के सारे मानी मौज़ूद हैं।

क्योंके हर हदफ़ ज़बान में जुमले की साख्त और वाज़े मालूमात की तादाद के लिए मुख्तलिफ़ तकाज़े होंगे जिनका फ़राहम होना लाज़मी है, अक्सर बाज़ ऐसे हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ होंगे जिनका किसी भी अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ के साथ कामिल मुताबिक़त नहीं होगा। अगर ये अल्फ़ाज़ वहाँ ऐसे मालूमात देने के लिए हैं जो जुमले को मानी देने के लिए ज़रूरी हैं, या कुछ मफ़हूम मालूमात फ़राहम करने के लिए जो जुमले को समझने के लिए ज़रूरी है, तो फ़राहम किये गए हदफ़ अल्फ़ाज़ को असल ज़बान उस लफ्ज़ के साथ सफ़बन्द होना चाहिये जो उनका इशारा करता है, या जिनकी वज़ाहत करने में वो मददगार है।

मुत्तहिद और ग़ैर मुत्तहिद करने के हिदायात

  • मुताद्दिद हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ को एक वाहिद अस्ल ज़बान लफ्ज़ के साथ सफ़बन्द करने के लिए, सिर्फ़ हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ को खींचे और मतलूबा असल ज़बान के लफ्ज़ के नीचे वाले ख़ाने पर छोड़ दें।
  • जब हदफ़ ज़बान लफ्ज़/अल्फ़ाज़ को असल ज़बान अल्फ़ाज़ के मजमुआ के साथ सफ़बन्द करने का इरादा हो, तो पहले असल ज़बान अल्फ़ाज़ के एक मजमुए को उसी ख़ाने में खींचें जैसा के दीगर असल ज़बान लफ्ज़ को। इस तरीक़े से मुतद्दिद असल ज़बान अल्फ़ाज़ एक साथ मुत्तहिद किये जा सकते हैं।
  • पहले मुत्तहिद किये गए असल ज़बान अल्फ़ाज़ को ग़ैर मुत्तहिद करने के लिए, सबसे दहनी तरफ़ के असल ज़बान लफ्ज़ को थोड़ा दायीं तरफ़ खींचें। एक छोटा सा नया सफ़बन्दी ख़ाना ज़ाहिर होगा, और ग़ैर मुत्तहिद असल ज़बान लफ्ज़ को उस ख़ाने में छोड़ा जा सकता है।
  • सबसे बाईं तरफ़ के असल ज़बान लफ्ज़ को भी खींचने और इसे इसके फ़ौरन बाईं तरफ़ के असल ज़बान लफ्ज़ के ख़ाने में छोड़ने के ज़रिये ग़ैर मुत्तहिद किया जा सकता है।
  • कोई भी हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ जिन्हें असल ज़बान अल्फ़ाज़ के साथ सफ़बन्द किया गया था फिर लफ्ज़ फ़ेहरिस्त में वापस आ जाते हैं।
  • असल ज़बान अल्फ़ाज़ मुनासिब तरतीब में रहने चाहिए। अगर मुत्तहिद में 3 या ज़ियादा अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ हैं तो, सबसे दहनी तरफ के असल ज़बान लफ्ज़ को पहले ग़ैर मुत्तहिद करें। पहले मरकज़ी लफ्ज़/अल्फ़ाज़ को ग़ैर-मुत्तहिद करने के नतीजे में असल ज़बान के अल्फ़ाज़ बे तरतीब हो सकते हैं। जब ऐसा होता है तो, असल ज़बान अल्फ़ाज़ को उनके असल तरतीब में मुनासिब तरीक़े से वापस लाने के लिए उस ख़ाने में बचे हुए अल्फ़ाज़ को ग़ैर मुत्तहिद करें।

सफ़बन्दी के बाद

बाईबल किताब की सफ़बन्दी और तर्जुमे की बाबत सवालात बनाना और तब्सरे करना ख़त्म करने के बाद, यह वक़्त होगा के या तो सवालात तर्जुमा टीम को भेजें या तर्जुमा टीम के साथ इकठ्ठे मुलाक़ात करने और उनको बहस करने का मन्सूबा बनायें। इस अमल को मुकम्मल करने के इक़दामात के लिए, वापस जाएँ जहाँ आप तौसीक़ की जाँच के लिए इक़दामात सफ़ह पर छोड़े थे।