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1.9 KiB

जूता, जूतियाँ

ता'अर्रुफ़:

"जूते" असल में बराबर तले की जूते होते थे जिसे पांवों और टखने पर चमड़े की पट्टी से बांधी जाती थी। 'औरत-मर्द दोनों ही इन जूतों को पहनते थे।

  • कभी-कभी जूते किसी क़ानूनी फ़ैसले को साबित करने के लिए भी काम में लिया जाता था जैसे कोई अपने माल को बेचता हो तो वह अपने जूते उतार कर ख़रीददार को दे देगा।एक आदमी एक जूता ले जाएगा और दूसरे को दे देगा।
  • अपने जूते उतारना सामने वाले के लिए 'इज़्ज़त और एहतराम का निशान था, ख़ास करके ख़ुदा की मौजूदगी में।
  • यूहन्ना ने कहा था कि वह 'ईसा की जूतियों (जूतों)के फ़ीता खोलने के लायक़ भी नहीं है, ऐसा काम 'आम तौर पर नीचे तबक़े के या ग़ुलाम का होता था।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5274, H5275, H8288, G4547, G5266