2.3 KiB
2.3 KiB
कामिल,कामिलयत ,कामिल करने वाला
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में”कामिल”लफ़्ज़ का मतलब है मसीह ज़िन्दगी में कामिलयत हासिल करना | किसी काम को कामिलयत में करने का मतलब है सही और बिना नुक्स काम करना |
- कामिल और मुकम्मल का मतलब है वह ईमान दार फ़र्माबरदार है न कि बेगुनाह |
- ”कामिल लफ़्ज़ का मतलब ‘मुकम्मल “और कामिल भी होता है |
- नये ‘अहद नामें मे या’क़ूब के ख़त में लिखा है कि परखे जाने से ईमानदारों में कामिलयत और कमाल पैदा करती है |
ईमानदार किताब -ए-मुक़द्दस का मुता’ला करके उस पर अमल करते हैं तो रूहानी ज़िन्दगी में बहुत ही कामिल और मुकम्मल हो जाते है |
तर्जुमे की सलाह:
इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है,”बिना नुक्स के”या “बिना चूक के “या “बेगुनाह”या बे ‘ऐब” या बिना किसी इल्ज़ाम के “|
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H724, H998, H1584, H1585, H3632, H3634, H4357, H4359, H4512, H8003, H8502, H8503, H8535, H8537, H8549, H8552, G195, G197, G199, G739, G1295, G2005, G2675, G2676, G2677, G3647, G5046, G5047, G5048, G5050, G5052