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2.0 KiB

पैदा करना, जच्चा की सी, दर्द-ए-ज़ेह

ता’अर्रुफ़:

एक ‘औरत “दर्द-ए-ज़ेह” में उस दर्द को महसूस करती है जिसके ज़रिए’ वह बच्चे को पैदा करती है। इसे “दर्द-ए-ज़ेह” कहते हैं।

  • गलातिया मुल्क की कलीसियाओं को लिखे ख़त में पौलुस इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल ‘अलामती तौर पर करता है जिसका मतलब है कि पौलुस अपने ईमानदार भाइयों को ज़्यादा से ज़्यादा मसीह की तरह लाने के लिए ज़ोरदार कोशिश करता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में की मिसाल दर्द-ए-ज़ेह आख़िरी दिनों की तबाही को ज़ाहिर करने के लिए भी दी गई है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा तेज़ और ज़ोर में होगा।

(यह भी देखें: दर्द-ए-ज़ेह, आख़िरी दिन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2342, H2470, H3018, H3205, H5999, H6045, H6887, H8513, G3449, G4944, G5088, G5604, G5605