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बोसा, बोसे, बोसा दिया, बोसा देना

ता’अर्रुफ़:

बोसा एक ऐसा काम है जिसमें एक इन्सान अपने होंठ किसी और इन्सान के होंठ या चेहरे पर रखता है| इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल तम्सीली तौर भी किया जा सकता है|

  • कुछ रवायतों में गाल पर एक दूसरे के इस्तक़बाल के तौर पर या अलविदा कहने के लिए बोसा दिया जाता है|
  • एक बोसा शौहर और बीवी के दरमियान गहरी मुहब्बत ज़ाहिर कर सकता है|
  • “किसी को विदाई पर चूमना” का मतलब है किसी को बोसे के साथ अलविदा कहना|
  • कभी कभी “बोसे” लफ़्ज़ का मतलब “अलविदा कहने” के लिए किया जाता है| जब एलीशा ने एलियाह से कहा, “मुझे पहले मेरे वालिदैन को चूमने दो” वह एलियाह का ‘अमल करने से पहले अपने वालिदैन से विदा लेना चाहता था|

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5390, H5401, G2705, G5368, G5370