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बोसा, बोसे, बोसा दिया, बोसा देना
ता’अर्रुफ़:
बोसा एक ऐसा काम है जिसमें एक इन्सान अपने होंठ किसी और इन्सान के होंठ या चेहरे पर रखता है| इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल तम्सीली तौर भी किया जा सकता है|
- कुछ रवायतों में गाल पर एक दूसरे के इस्तक़बाल के तौर पर या अलविदा कहने के लिए बोसा दिया जाता है|
- एक बोसा शौहर और बीवी के दरमियान गहरी मुहब्बत ज़ाहिर कर सकता है|
- “किसी को विदाई पर चूमना” का मतलब है किसी को बोसे के साथ अलविदा कहना|
- कभी कभी “बोसे” लफ़्ज़ का मतलब “अलविदा कहने” के लिए किया जाता है| जब एलीशा ने एलियाह से कहा, “मुझे पहले मेरे वालिदैन को चूमने दो” वह एलियाह का ‘अमल करने से पहले अपने वालिदैन से विदा लेना चाहता था|
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 थिस्सलुनीकियों 05:25-28
- पैदाइश 27:26-27
- पैदाइश 29:11-12
- पैदाइश 31:26-28
- पैदाइश 45:14-15
- पैदाइश 48:8-10
- लूक़ा 22:47-48
- मरकुस 14:43-46
- मत्ती 26:47-48
शब्दकोश:
- Strong's: H5390, H5401, G2705, G5368, G5370