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खराई
ता’अर्रुफ़:
“मन की खराई” के बारे में सच्चाई और मज़बूत इख़लाक़ी तरीक़ा और सिफ़त से है।
- खराई का मतलब यह भी है कि जब कोई देख न रहा हो तब भी सच्चाई और मुनासिब काम करना।
- कलाम के कुछ जुमले जैसे यूसुफ़ और दानिएल ने मन की खराई को ज़ाहिर किया था जब उन्होंने बुराई करना छोड़ दिया और ख़ुदा के हुक्म मानने का फ़ैसला लिया था।
- अम्साल की किताब में लिखा है कि मालदार और बद या ग़ैर ज़िम्मेदार होने के बदले खरा और मुफ़लिस होना बेहतर है।
तर्जुमा की सलाह:
- “खराई” का तर्जुमा, “सच्चाई” या “इख़लाक़ी” या “सच्चा सुलूक” या “क़ाबिल एतमाद , ईमानदारी से काम करना” किया जा सकता है ।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H3476, H6664, H6666, H8535, H8537, H8538, H8549, G4587