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3.2 KiB

फाटक, फाटकों, बेंड़ों, चौकीदार , चौकीदारों, दरवाज़े के खम्भे, दरवाज़ा

ता’अर्रुफ़:

“दरवाज़ा ” किसी अहाते में या दीवार में जो शहर या घर के चारों तरफ़ से उसमें चूल पर लगी एक रुकावट होती है। “बेड़ों” दरवाज़ा को बन्द करने के लिए लकड़ी या धातु की ज़ंजीर ।

  • दरवाज़ा के फाटकों को खोला जाता था कि लोग, जानवर और ताजिर शहर में आ सकें और शहर से जा सकें।
  • शहर को महफ़ूज़ रखने के लिए शहरपनाह और दरवाज़े बहुत मोटे होते थे। दरवाज़ों को ज़ंज़ीरों से बन्द किया जाता था कि दुश्मन की फ़ौज को शहर में दाख़िल होने से रोका जाए।
  • शहर का दरवाज़ा शहर की ख़बर और क़ौमी मरकज़ होता था। वहां कारोबारियों के लेनदेन और फ़ैसला भी किया जाता था क्यूँकि शहरपनाह के मोटे होने की वजह से वहाँ धूप से बचने के लिए मौजूद ठंडी छांव होती थी। शहरियों को उसके साए में बैठना अच्छा लगता था कि वहाँ बैठकर फ़ैसला करें या कारोबार करें।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमलों के मुताबिक़ “दरवाज़े” का तर्जुमा “दरवाज़ा” या “दीवार से दाख़िल होने की जगह” या “रुकावट” या “दाख़िल होने का दरवाज़ा ” किया जा सकता है।
  • “दरवाज़े की सलाखों” का तर्जुमा “फाटक की सिटकनी” या “दरवाज़े को बन्द करने की लम्बी लाठी ” या “दरवाज़े को बन्द करने की धातु की ज़ंजीर ”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1817, H5592, H6607, H8179, H8651, G2374, G4439, G4440