ur-deva_tw/bible/other/footstool.md

2.8 KiB

पाँवों की चौकी

ता’अर्रुफ़:

“पाँवों की चौकी” बैठते वक़्त पाँवों को आराम देने के लिए रखने की चौकी। इस जुमले का ‘अलामती मतलब है, जमा’ करना रहना या छोटा ‘उहदा।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में पाँवों को जिस्म का सबसे कम इज़्ज़त वाला हिस्सा माना जाता है। लिहाज़ा पाँवों की चौकी और भी ज़्यादा नाचीज़ थी, क्योंकि उस पर पाँव रखे जाते थे।
  • ख़ुदा कहता है, मैं अपने दुश्मनों को अपने पाँवों की चौकी कर दूँगा तो वह बाग़ियों पर अपनी , क़ुव्वत और जीत की मुक़र्रर कर रहा है। वे हार कर इतने हलीम हो जाएंगे कि ख़ुदा की मर्ज़ी के ताबे’ सुपुर्द कर देंगे।
  • “ख़ुदा के पाँवों की चौकी पर परस्तिस करना” मतलब ख़ुदा तख़्त पर बैठा है और परस्तिस करने वाले उसके क़दमों में सज्दा करते हैं। यह फिर बात चीत करता है कि आजिज़ी और बरकत खुदा के लिए है|
  • दाऊद हैकल को ख़ुदा के पाँवों की चौकी कहता है। इसका हवाला उसके अपने लोगों पर उसके पूरे इख़्तियार से है। यह तख़्त पर बैठे ख़ुदा का तसव्वुर भी है जिसके पाँव चौकी पर रखे हुए हैं जो उसके ताबे’ सबकी सुपुर्दगी ज़ाहिर करता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1916, H3534, H7272, G4228, G5286