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बाँसुरी, बाँसुरी, बाँसुरी, सीटी बजाने का सामान
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, बाँसुरी हड्डियों या लकड़ी के खोखले बजाने वाले सामान- थे जिनसे आवाज़ निकलती थी। बाँसुरी एक क़िस्म की नली थी।
- ज़्यादातर नलियों में सरकंडे जो मोटे घास के बने थे, हवा फूंकने पर कंपकपी पैदा होती थी।
- एक नली जिसमें सरकंडे नहीं होते थे उन्हें बाँसुरी कहते थे।
- चरवाहे अपनी भेड़ों को सुकून देने क लिए सीटी बजाते थे।
- इन बाजों के ज़रिए’ ख़ुशी या ग़म का मोशीकी बजाई जाती थी।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H4953, H5748, H2485, H2490, G832, G834, G836