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आग, आग, लुकटियों, करछों, चिमनियों, भट्ठा, अंगीठियाँ
ता’अर्रुफ़:
आग गर्म होती, जब किसी चीज़ के जलने पर पैदा गर्म, रोशनी और लौ।
- लकड़ी आग के ज़रिए’ जलकर राख हो जाती है।
- लफ्ज़ “आग” को अलामती शक्ल में भी काम में लिया गया है, जिसके बारे में हमेशा सज़ा और नुमाइश से है।
- बे-ईमानों को आख़िरी सज़ा जहन्नम की आग में डाला जाता है।
- आग का इस्ते’माल सोने और और धातुओं को दुबारा बेहतर करने के लिए होता है| किताब-ए-मुक़द्दस में, इस ‘अमल की तफ़सील करने के लिए इस्ते’माल किया जाता है जैसे ख़ुदा के ज़रिए’ मुश्किल हालातों से इन्सान को बेहतर करता है जो उसकी ज़िन्दगी में होते हैं|
- “आग से बपतिस्मा देना” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है “पाक करने के लिए तकलीफ़ उठाने के लिए पाबन्द करना।”
(यह भी देखें: पाक )
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 16:18-20
- 2 सलातीन 01:9-10
- 2 थिस्सलुनीकियों 01:6-8
- रसूलों के ‘आमाल 07:29-30
- युहन्ना 15:5-7
- लूक़ा 03:15-16
- मत्ती 03:10-12
- नहमियाह 01:3
शब्दकोश:
- Strong's: H215, H217, H398, H784, H800, H801, H1197, H1200, H1513, H2734, H3341, H3857, H4071, H4168, H5135, H6315, H8316, G439, G440, G1067, G2741, G4442, G4443, G4447, G4448, G4451, G5394, G5457