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बाग़ी गवाह, झूठी जानकारी, झूठी गवाही, झूठे गवाह , झूठे गवाहों

ता’अर्रुफ़:

“झूठा गवाह” और “बाग़ी गवाह” उस इंसान के बारे में है जो किसी के बारे में या किसी हादसे के बारे में, ‘अदालत जैसी मजलिस में झूठी बातें कहता है।

  • “झूठी गवाही” या “झूठी जानकारी” को हक़ीक़त में झूठ ही कहते है।
  • “झूठी गवाही देना” या’नी झूठ कहना या गलत ज़िक्र करना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में बहुत मिसालें हैं जब झूठे गवाहों को भाड़े पर लाया गया कि किसी को सज़ा या सज़ा-ए-मौत दिलवाने के लिए झूठी गवाही दी जाए।

तर्जुमे की सलाह:

  • “झूठी गवाही देना” या “झूठी गवाही देना” इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “झूठा गवाह” या “किसी के बारे में झूठा ज़िक्र करना” या “किसी के ख़िलाफ़ झूठा इल्ज़ाम लगाना” या “झूठ कहना”
  • जब “झूठी गवाही” किसी इन्सान के बारे में हो तब कहा जा सकता है, “झूठ बोलने वाला इन्सान” या “झूठी गवाही देने वाला इन्सान” या “झूठी बातें करने वाला इन्सान”।

(यह भी देखें: गवाही, सच्चा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5707, H6030, H7650, H8267, G1965, G3144, G5571, G5575, G5576, G5577