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मुँह, मुँह, के सामने, के सामने, चेहरे, मुँह के बल गिरे

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “मुँह ” का लफ़्ज़ी मतलब इन्सान के सिर का सामने का हिस्सा। इस लफ़्ज़ के कई ‘अलामती मतलब होते हैं।

  • इज़हार “तेरा मुँह” को कहने का लफ़्ज़ी तरीक़ा “तू” * इसी तरह इज़हार “मेरा मुँह” का अक्सर मतलब “मैं” या “मुझे” होता है।
  • “सामना करना” का जिस्मानी तौर पर किसी का या किसी चीज़ का या’नी किसी को देखना या किसी चीज़ को देखना|
  • “आमने-सामने देखना” मतलब है “सीधा एक दूसरे को देखना”
  • “आमने-सामने” मतलब दो इन्सान क़रीब में एक दूसरे के सामने हैं।
  • “’ईसा ने यरूशलीम जाने का फ़ैसला किया” मतलब उसने जाने का मज़बूत फ़ैसला किया था।
  • “मुँह फेर लेना” का मतलब किसी जगह या इन्सान की मदद ना देने या उसको छोड़ने का फ़ैसला कर लेना।
  • इज़हार “ज़मीन का चेहरा” मतलब ज़मीन के बारे है, उमूमन तमाम ज़मीन के बारे में है। मिसाल के तौर पर “अकाल ज़मीन का मुँह है” बहुत बड़ा अकाल जिससे ज़मीन पर बहुत से जानदार मुतास्सिर हुए।
  • यह ‘अलामती इज़हार, “अपने लोगों से अपना मुँह न छिपा” या’नी “अपने लोगों को छोड़ न दे” या “अपने लोगों को अकेला न छोड़ दे” या “अपने लोगों की ख़बर लेने से इन्कार न कर।”

तर्जुमे की सलाह:

  • अगर मुमकिन हो, इसी जुमले को रखा जाए या मक़सदी ज़बान में इस अलफ़ाज़ में एक मतलब का जुमला इस्ते’माल किया जाए।
  • लफ़्ज़ "सामना करने के लिए" का तर्जुमा किया जा सकता है "की ओर मुड़ना" या "सीधे देखने के लिए" या "चेहरे को देखने के लिए।"
  • इज़हार "आमने-सामने" का तर्जुमा "बहुत करीब से" या "ठीक सामने में" या "की हाज़िरी में" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, "उसके चेहरे के सामने" का तर्जुमा "उसके आगे" या "उसके सामने" या "उसके पहले" या "उसकी हाज़िरी में" के तौर पर किया जा सकता है।
  • इज़हार "उसके चेहरे की तरफ मुड़ें" अलफ़ाज़ का तर्जुमा “की ओर बढ़ने” या “मज़बूती से करने के लिए अपना दिल बनाया।”
  • इज़हार “से उसके चेहरा छिपाना” का तर्जुमा “से मुड़ जाना” या “मदद करना या हिफ़ाज़त करना रोकें” या “खारिज़” के तौर में किया जा सकता है।
  • 'मुँह फेरना' किसी शहर या लोगों के ख़िलाफ़ की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है, "ग़ुस्सा और मुज़म्मत के साथ देखो" या "क़ुबूल करने से मना’ करना " या "ख़ारिज करने का फ़ैसला लेना" या " मुज़म्मत करना और ख़ारिज करना" या "फ़ैसला देना"।
  • इज़हार “उनके मुँह पे बोले” का तर्जुमा “उनको सीधे बोलना” या “उनकी हाज़िरी में उन्हें यह कहो” या “उन्हें इन्सान में कहें” की शक्ल में किया जा सकता है।
  • इज़हार “ज़मीन का मुँह” का तर्जुमा “तमाम ज़मीन” या “पूरी ज़मीन पर” या “पूरी ज़मीन पर रह रहे है” की शक्ल में किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H600, H639, H5869, H6440, H8389, G3799, G4383, G4750