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बुज़ूर्ग, बुज़ूर्गों
ता'अर्रुफ़:
बुज़ूर्ग रूहानी बालिग़ मर्द होते हैं जिनकी ज़ूम्मेदारी होती है कि ख़ुदा के लोगों की रूहानी और मश्क़ी रहनुमाई करें।
- “बुज़ूर्ग” लफ्ज़ का असल इस ता'रीफ़ में है कि ये मर्द 'उम्र में ज़्यादा होते थे और 'उम्र और तजुर्बे के बारे में उनमें ज़्यादा 'अक्ल होती थी।
- पुराने 'अहद नामें में बुज़ूर्ग क़ौमी 'और मूसा की शरी'अत से मुता'ल्लिक़ मौज़ू'आत में इस्राईलियों की रहनुमाई और मदद करते थे।
- नये 'अहद नामें में यहूदी बुज़ूर्ग अपने क़बीलों में रहनुमाओं का किरदार निभाते थे और क़बीलों के मुंसिफ़ भी थे।
- इब्तिदाई मसीही कलीसियाओं में मसीही बुज़ूर्ग ईमानदारों के नज़दीकी मण्डली की रूहानी क़बीले में रहनुमाई करते थे।
- उन कलीसियाओं में बुज़ूर्ग में नौजवान शामिल थे जो रूहानी शक्ल से बालिग़ थे।
- इस लफ्ज़ का तर्जुमा " 'बूढ़े मर्दों " या " रूहानी शक्ल से बालिग़ लोगों” के शक्ल में किया जा सकता है जो कलीसिया की क़यादत कर रहे हैं।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 11:1-3
- 1 तीमुथियुस 03:1-3
- 1 तीमुथियुस 04:14-16
- रसूलों के 'आमाल . 05:19-21
- रसूलों के 'आमाल 14:23-26
- मरकुस 11:27-28
- मत्ती 21:23-24
शब्दकोश:
- Strong's: H1419, H2205, H7868, G1087, G3187, G4244, G4245, G4850