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2.7 KiB

बुज़ूर्ग, बुज़ूर्गों

ता'अर्रुफ़:

बुज़ूर्ग रूहानी बालिग़ मर्द होते हैं जिनकी ज़ूम्मेदारी होती है कि ख़ुदा के लोगों की रूहानी और मश्क़ी रहनुमाई करें।

  • “बुज़ूर्ग” लफ्ज़ का असल इस ता'रीफ़ में है कि ये मर्द 'उम्र में ज़्यादा होते थे और 'उम्र और तजुर्बे के बारे में उनमें ज़्यादा 'अक्ल होती थी।
  • पुराने 'अहद नामें में बुज़ूर्ग क़ौमी 'और मूसा की शरी'अत से मुता'ल्लिक़ मौज़ू'आत में इस्राईलियों की रहनुमाई और मदद करते थे।
  • नये 'अहद नामें में यहूदी बुज़ूर्ग अपने क़बीलों में रहनुमाओं का किरदार निभाते थे और क़बीलों के मुंसिफ़ भी थे।
  • इब्तिदाई मसीही कलीसियाओं में मसीही बुज़ूर्ग ईमानदारों के नज़दीकी मण्डली की रूहानी क़बीले में रहनुमाई करते थे।
  • उन कलीसियाओं में बुज़ूर्ग में नौजवान शामिल थे जो रूहानी शक्ल से बालिग़ थे।
  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा " 'बूढ़े मर्दों " या " रूहानी शक्ल से बालिग़ लोगों” के शक्ल में किया जा सकता है जो कलीसिया की क़यादत कर रहे हैं।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1419, H2205, H7868, G1087, G3187, G4244, G4245, G4850