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ख़ुशी, ख़ुशियाँ, ख़ुश हुआ, मसर्रत
ता’अर्रुफ़:
“ख़ुश होना” ऐसी चीज़ है जो किसी को बहुत ख़ुश करती है या बहुत ख़ुशी का सबब बनती है|
- “ में ख़ुश होना” का कुछ मतलब “में लुत्फ़ लेना” या “के बारे में खुश होना”
- जब कोई बात बहुत मुत्तफ़िक़ हो या दिलकश हो तो उसे “ख़ुशी” कहते हैं।
- जब कोई शख़्स किसी बात में ख़ुश होता है तो इसे “मसर्रत” कहते हैं|
- अलफ़ाज़ “मेरी ख़ुशी यहोवा की शरी’अत में है ” इसका तर्जुमा हो सकता है, “यहोवा की शरी’अत मुझे बहुत ख़ुशी ‘अता करती है”, या “मैं ख़ुदा के क़वानीन का ‘अमल करने से ख़ुश होता हूँ” या “यहोवा के हुक्मों का ‘अमल करके मुझे ख़ुशी हासिल होती है।”
- जुमले “ख़ुशी नहीं मिलती है” और “में ख़ुशी नहीं है” इनका तर्जुमा हो सकता है, “हरगिज़ ख़ुशी नहीं” या “के बारे में ख़ुशी नहीं।”
- जुमले “में अपने आप ख़ुश रहना” या’नी “वह ख़ुशी हासिल करता है” या “वह इसके बारे में बहुत खुश है” सभी या कोई एक।
- लफ़्ज़ "ख़ुशी" उन चीज़ों का हवाला देता है जो एक ख़ुशी हासिल करता है| इसका तर्जुमा “मसर्रत” या “चीज़ें जो खुशी देती हैं ” के तौर पर किया जा सकता है।
- इज़हार जैसे “मुझे तेरी ख़्वाहिश से ख़ुशी है ”, इसका तर्जुमा हो सकता है, “मुझे ख़ुशी होती है तेरी ख़्वाहिश से” या “जब मैं तेरी फरमाबरदारी करता हूँ, तब मुझे बहुत ख़ुशी होती है|
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H1523, H2530, H2531, H2532, H2654, H2655, H2656, H2836, H4574, H5276, H5727, H5730, H6026, H6027, H7306, H7381, H7521, H7522, H8057, H8173, H8191, H8588, H8597