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हरम,हरमों
ता’अर्रुफ़:
“हरम” किसी शादी शुदा आदमी की दूसरी बीवी होती है। हरम अक्सर क़ानूनी तौर पर शादी की हुई बीवी नहीं होती है।
- पुराने ‘अहद नामे में हरमें ज़्यादातर ख़ादिमा होती थी।
- हरमों को या तो ख़रीदा जाता था, या जंग में जीता जाता था या क़र्ज़ चुकाने की जगह पर रखा जाता था।
- बादशाह के लिए बहुत सी हरमें रखना ताक़त का निशान था।
- नया ‘अहद नामा कहता है कि हरमें रखना ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H3904, H6370