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साथी, शरीक़, हम ख़िदमत ,हम ख़िदमत
सच्चाई:
“साथी” का मा’नी है किसी के साथ रहनेवाला इन्सान या किसी से जुड़ा हुआ इन्सान जैसे दोस्ती या शादी में। “साथी”का मा’नी एक साथ काम करने वाला शख़्स|
- साथी एक ही तजुरबे को महसूस करते हैं, एक साथ खाना खाते हैं और एक दूसरे को मदद देते हैं और हौसला देते हैं।
- मज़मून के मुताबिक़ इस लफ़्ज़ का तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से हो जिसका मा’नी है, “दोस्त” या “शरीक़” या “किसी के साथ चलने वाला मददगार शख़्स”
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H251, H441, H2269, H2270, H2271, H2273, H2278, H3674, H3675, H4828, H7453, H7462, H7464, G2844, G3353, G4791, G4898, G4904