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बखूर की क़ुर्बानगाह , ख़ुशबू की क़ुर्बानगाह

सच्चाई:

ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह वह मक़ाम था जहां काहिन ख़ुदावन्द को नज़र पेश करने के लिए ख़ुशबू जलाता था। उसे सोने की क़ुर्बानगाह भी कहते थे।

  • ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह लकड़ी की बनी हुई थी और उस पर सोना चढ़ा हुआ था। उसकी लम्बाई और चौड़ाई आधा-आधा मीटर की थी और ऊंचाई एक मीटर की थी।
  • पहले वह ख़ेम-ए-इज्तिमा' के अन्दर थी। उसके बा'द उसे हैकल में लाया गया था।
  • काहिन रोज़ाना सुबह-शाम उस पर खुशबू जलाता था।
  • इसका तर्जुमा “ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह” या सोने की क़ुर्बानगाह” या “ख़ुशबू जलाने वाली” या “ख़ुशबू की मेज” किया जा सकता है।

(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें

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किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4196, H7004, G2368, G2379