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3.1 KiB

अफ़सोस

ता’अर्रुफ़:

“अफ़सोस” लफ़्ज़ बड़ी मायूसी को ज़ाहिर करता है | इससे किसी को बड़ी तकलीफ़ों की हिदायत भी दी जाती है।

  • “अफ़सोस पर” नसीहत के साथ आता है कि वे गुनाहों की सज़ा पाएंगे।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में बहुत जगहों में “अफ़सोस” लफ़्ज़ को दोहराया गया है जिसका ख़ास मतलब है डरावनी सज़ा की ताक़त ज़ाहिर करना है।
  • आदमी कहता है, “अफ़सोस मुझ पर” तो इसका मतलब है बड़ी तकलीफ़ की वजह से ग़म ज़ाहिर करना।

तर्जुमे की सलाह :

  • मज़मून के मुताबिक़ “अफ़सोस” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “गहरा दुख” या “ग़म ” या “मुसीबत ” या “हलाकत ”
  • ज़ाहिरयत का तर्जुमा करने के और तरीके़ " अफ़सोस करने के लिए ("शहर का नाम)" में शामिल हो सकते हैं, "यह (शहर के नाम) के लिए कितना खतरनाक होगा" या "(उस शहर) में लोगों को गहरी शक्ल से सज़ा दी जाएगी " या "उन लोगों को बहुत भुगतना होगा। "
  • ज़ाहिर यत, " अफ़सोस मुझे है!" या "मुझ पर अफ़सोस!" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है "मैं कितना दुखी हूँ!" या "मैं बहुत उदास हूँ!" या "यह मेरे लिए कितना ख़तरनाक है!"
  • ज़ाहिरयत "आप पर अफ़सोस " का भी तर्जुमा किया जा सकता है "आपको बहुत दुख होगा" या "आपको बड़ी परेशानियों का तजुर्बा होगा।"

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H188, H190, H337, H480, H1929, H1945, H1958, G3759