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3.9 KiB

ख़ुदा की क़ौम , मेरे लोग

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुदा की क़ौम” या’नी ख़ुदा ने दुनिया में से जिन लोगों को बुलाकर अलग कर लिया कि उसके साथ ख़ास रिश्ते में रहें।

  • ख़ुदा कहता है “मेरे लोग ” तो वह उन लोगों के बारे में कह रहा है जिन्हें उसने चुन लिया है और उनके साथ उसका रिश्ता सबसे अलग है।
  • ख़ुदा की क़ौम उसके ज़रिये’ चुनी हुई है और दुनिया से अलग की गई है कि उसे ख़ुश करने की ज़िन्दगी जीएं। ख़ुदा उन्हें अपनी औलाद भी कहता है।
  • पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा के लोग (क़ौम) इस्राईल के बारे में है जिन्हें ख़ुदा ने चुन कर ग़ैर क़ौमों से अलग कर लिया कि उसकी ख़िदमत करें और उसका हुक्म मानें।
  • नये ‘अहद नामे में “ख़ुदा के लोग” का मक़सद उन सब इन्सानों से है जो ‘ईसा में यक़ीन करते हैं और उन्हें कलीसिया कहा गया है। कलीसिया में यहूदी और ग़ैर क़ौमें ईमान दार दोनों हैं।

तर्जुमे की सलाह:

  • “ख़ुदा की क़ौम ” का तर्जुमा “ख़ुदा के लोग” या “ख़ुदा की इबादत करने वाले लोग” या “ख़ुदा की ख़िदमत करने वाले लोग” या “ख़ुदा के अपने लोग”।
  • जब ख़ुदा कहता है, “मेरी क़ौम” तब उसका तर्जुमा हो सकता है, “जिन लोगों को मैंने चुन लिया है” या “मेरी इबादत करने वाले लोग” या “मेरे अपने लोग”
  • इसी तरह “तेरी क़ौम ” का तर्जुमा “तेरे अपने लोग” या “तुझे चुन लेने वाले लोग” हो सकता है।
  • “उसकी क़ौम” का तर्जुमा “उसके अपने लोग” या “जिन लोगों को ख़ुदा ने अपना हिस्सा चुन लिया” हो सकता है।

(यह भी देखें :इस्राईल, क़ौम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H5971, G2316, G2992