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बदरूहों से मुब्तिला
ता’रीफ़:
एक शख़्स जो बदरूहों या बुरी रूहों से मुब्तिला हैं वह बदरूहों के ताबे’ रहता और बदरूह से ही करता है और सोचता है|
- अक्सर बदरूह में मुब्तिला इन्सान अपने को या और किसी को नुक़सान पहुँचाता है क्यूँकि बदरूह उससे ऐसा करवाती है|
- ‘ईसा ने बदरूह में मुब्तिला लोगों को चंगा किया; बदरूहों को हुक्म देकर कि उनमें से निकल जाएं। इसे अक्सर बदरूह निकालना कहा गया है।
तर्जुमे की सलाह:
- दूसरे तरीक़े से इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बदरूह के क़ाबू में” या “बदरूह के ज़रिए’ क़ाबू” या “बदरूह का अन्दर रहना”
(इसे देखें: बदरूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 26:09 बहुत से लोग जिनमें बदरूहें थी , उन्हें ‘ईसा के पास लाया गया।
- 32:02 जब वह झील की दूसरी तरफ पहुँचे तो तुरन्त एक शख़्स जिसमे बदरूह थी, ‘ईसा के पास दौड़कर आया।
- 32:06 बदरूह में मुब्तिला इन्सान ने ऊँचे लफ़्ज़ से चिल्लाकर कहा “ऐ ‘ईसा सबसे बड़े ख़ुदा के बेटे, मुझे तुझ से क्या काम है? मेहरबानी करके मुझे परेशानी न दे!”
- 32:09 लोगों ने आकर उसको जिसमें बदरूहें थीं, कपड़े पहने और इत्मिनान से बैठे देखा और एक ‘आम इन्सान की तरह सुलूक करते पाया ।
- 47:03 हर दिन जब वह (पौलुस और सिलास) दु’आ करने की जगह जाते थे, तो एक ख़ादिमा उनका पीछा करती थी जिसमें बदरूह थी।
शब्दकोश:
- Strong's: G1139