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ला’नत , ला’नती , ला’नत दे, कोसता है

ता’अर्रुफ़:

यह लफ़्ज़ “ला’नत ” का मतलब है कि नकारात्मक चीज़े किसी आदमी या चीज़ के साथ हो जिसे ला’नत दी जा रही है।

  • ला’नत एक बोल है कि किसी की नुक़सान हो।
  • किसी को ला’नत देना एक कलाम या ख़्वाहिश भी हो सकती है कि उस आदमी के साथ बुरा हो।
  • इसका बयान किसी के लिए किसी के ज़रिए’ सज़ा देना या दिया जाना या कुछ बुरा सोचना होता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बुरा करवाना” या “बुराई का ऐलान करना” या “बुरी बातें होने की क़सम खाना”, हो सकता है।
  • फ़र्माबरदार इन्सानों पर ख़ुदा की ला’नत के बारे में तर्जुमा इस तरह हो सकता है, “बुराई होने की इजाज़त के ज़रिये सज़ा देना”
  • “ला’नती ” लफ़्ज़ जब आदमियों के लिए हो तो इसका तर्जुमा हो सकता है “(इसआदमी ) ज्यादा परेशानी का तजुर्बा होगा”।
  • जुमलों "ला’नती होना" का तर्जुमा किया जा सकता है, "(उस आदमी ) कठिनाइयों का तजुर्बा हो सकता है।"
  • जुमलों , "ला’नती ज़मीन है" का तर्जुमा किया जा सकता है, "ज़मीन उपजाऊ नहीं होगी।"
  • “ला’नती हो, जिस दिन मै पैदा हुआ" का भी तर्जुमा किया जा सकता है, "मैं इतना दुखी हूं, बेहतर होता कि मै पैदा ही नहीं होता।"
  • हालांकि, अगर मकसदी ज़बान में जुमलों "ला’नती है" है और इसका मतलब एक ही है, तो उसी जुमले को रखना अच्छा है।

(यह भी देखें: बरकत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसाल:

  • 02:09 ख़ुदा ने साँप से कहा, “तुम __लानती __ हों।”
  • 02:11 “अब ज़मीन __लानती __ है, और तुम्हें उसकी पैदावार खाने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी।”
  • 04:04 “जो तुझे बरकत देंगे उन्हें मैं बरकत दूँगा और जो तुझे __लानत __ देंगे उन्हें मैं __लानत __ दूँगा।”
  • 39:07 तब पतरस क़सम खाने लगा, “अगर मैं उस आदमी को जानता हूँ तो ख़ुदा मुझे __लानत __ दे।”
  • 50:16 क्योंकि आदम और हव्वा ने ख़ुदा की हुक्म उदूली किया और इस दुनिया में गुनाह को लाए, इसलिये ख़ुदा ने इसे बद्दुआ दिया और इसे हलाक करने का फ़ैसला किया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H422, H423, H779, H1288, H2763, H2764, H3994, H5344, H6895, H7043, H7045, H7621, H8381, G331, G332, G685, G1944, G2551, G2652, G2653, G2671, G2672, G6035