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कोने का पत्थर, ख़ास पत्थर
ता’अर्रुफ़:
“कोने का पत्थर” एक बड़ा पत्थर होता है जो ख़ास करके तराशा हुआ होता है और मकान की नींव में रखा जाता है।
- मकान के और सब पत्थर इस कोने के पत्थर के साथ में रखे जाते हैं।
- यह पत्थर कामिल तख्लीक़ की मज़बूती और इस्तिक़ामत के लिए बहुत अहमियत रखता है।
- नये ‘अहद नामे में ईमानदारों की जमा’त को मिसाल के तौर पर एक हैकल कहा गया है जिसका कोने का पत्थर मसीह ‘ईसा है।
- जिस तरह मकान के कोने का पत्थर पूरे मकान की जगह को संभालता है और सहारा देता है ठीक उसी तरह मसीह ‘ईसा ईमानदारों की जमा’त कोने का पत्थर है जिसके ज़रिये’वह संभाली हुई और मुस्तःक़म है।
तर्जुमे की सलाह:
- “कोने के पत्थर” का तर्जुमा “माकन का ख़ास पत्थर” या “नींव का पत्थर” किया जा सकता है।
यहां ध्यान दें कि मक़सदी ज़बान में मकान की नींव के किसी हिस्से के लिए कोई लफ़्ज़ है जो ख़ास बुनियाद है। अगर ऐसा लफ़्ज़ है तो उस लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इसका तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “मकान के कोने के लिए काम में लिया गया नींव का पत्थर”
- यह ज़रूरी है कि इस पत्थर के बड़े होने की सच्चाई से मा;मूर हो जो मकान के लिए एक ठोस और महफ़ूज़ सामान के तौर पर काम में लिया जाता है। अगर मकान की ता’मीर में पत्थर काम में नहीं लिए जाते हैं तो “बड़े पत्थर” के लिए कोई और लफ़्ज़ होगा और इसका ख़्याल ख़ास करके तराशा हुआ और जोड़ने के लिए बनाया गया है।
किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H68, H6438, H7218, G204, G1137, G2776, G3037