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अहम अलफ़ाज़ जानने के लिए

  • नोट: ये शराइत इस दस्ती में इस्तिमाल होते हैं. तर्जुमा दस्ती का इस्तिमाल करने के लिए मुतर्जिम को इन शराइत को समझने की ज़रूरत होगी. *

टर्म - एक लफ़्ज या फ़िक़रा जिसमें एक चीज़, ख़्याल, या अमल से मुराद है. मिसाल के तौर पर, एक ज़बान में माए डालने के लिए अंग्रेज़ी में इस्तिलाह "पीने" है. एक तक़रीब के लिए जो इस्तिलाह किसी शख़्स की ज़िंदगी में एक अहम मुंतकली की निशानदेही करता है "गुज़रने की रस्म" | इस्तिलाह और एक लफ़्ज के दरमयान फ़र्क़ ये है कि इस्तिलाह में कई अलफ़ाज़ शामिल हो सकते हैं.

** मतन ** - एक मतन ये है कि एक स्पीकर या मुसन्निफ़ ज़बान की तरफ़ से सुनने वाला या रीडर को बातचीत कर रहा है. स्पीकर या मुसन्निफ़ के पास ज़हन में एक ख़ास मअनी है, और इसी तरह वो उस्मानी का इज़हार करने के लिए ज़बान का एक शक्ल मुंतख़ब करता है .

** मतन ** - सवाल में लफ़्ज़, फ़िक़रा या सज़ा के इर्द-गिर्द अलफ़ाज़, जुमले, जुमले, और पैराग्राफ़. सयाक़-ओ-सबॉक् इस मतन का है जिसका मतन आपके मुआइना कर रहे हैं. इन्फ़िरादी अलफ़ाज़ और जुमले के मअनी को मुख़्तलिफ़ हालतों में होने पर तबदील कर सकते है |

फ़ार्म - एस सफ़े पर ज़ाहिर होता है जैसा कि इस सफ़े पर ज़ाहिर होता है या जैसा कि बोला जाता है. "फ़ार्म" का मतलब ये है कि ज़बान का एहतिमाम किया जाता है- इस में लफ़्ज़, लफ़्ज़ी आर्डर, ग्रामर, मुहासिरा, और मतन की साख़त की दूसरी ख़सुसीआत शामिल है

ग्रामर - जिस ज़बान को एक ज़बान में एक दूसरे में शामिल किया जाता है. इस के मुख़्तलिफ़ हिस्सों के हुक्म के साथ ऐसा करना पड़ता है, जैसे फे़अल पहले या आख़िरी या दरमयानी हिस्से में है

मुबाहिसा - एक किस्म का लफ़्ज जो शख़्स, जगह, या चीज़ से मुराद है. एक मुनासिब लफ़्ज एक शख़्स या जगह का नाम है. एक ख़ुलासा संत ये है कि हम "अमन" या "इत्तिहाद" की तरह देखते हैं या नहीं छू सकते. ये एक ख़्याल या एक रियासत की तरफ़ इशारा करता है. कुछ ज़बानें ख़ुलासा लफ़्ज इस्तिमाल नहीं करते हैं

** ज़बानी ** - एक किस्म का एक लफ़्ज जिसमें एक अमल से मुराद है, जैसे "वाक" या "पहुंच गया".

तरमीम - एक किस्म का एक लफ़्ज जिसे किसी और लफ़्ज के बारे में कुछ कहा जाता है. एडवाइसज़ और ऐडवर्डज़ दोनों तरमीम हैं.

स्रात - एक किस्म का एक लफ़्ज जिसका नाम एक लफ़्ज के बारे में है. मिसाल के तौर पर, लफ़्ज "लंबे" लफ़्ज "इन्सान" के बारे में कुछ दर्ज जे़ल सज़ा में बताता है. * में एक क़द आदमी देखता हू

अड्डोरब - एक किस्म का लफ़्ज जो फे़अल के बारे में कुछ कहता है. मिसाल के तौर पर, लफ़्ज "ज़ोर से" कहा जाता है कि फे़अल के बारे में कुछ "बोली" दर्ज जे़ल सज़ा में है. * आदमी ने ज़ोर से लोगों के भीड़ पर बात की.

आईडीवम - एक इज़हार जिसमें कई अलफ़ाज़ का इस्तिमाल होता है और इस का मतलब ये है कि इस से कहीं ज़्यादा कुछ मुख़्तलिफ़ होगा अगर लफ़्ज उस्मानी के साथ समझे जाऐंगे तो उनको अलग अलग इस्तिमाल किया जाता है. ईसाई लफ़्ज लफ़्ज़ी तर्जुमा नहीं कर सकते हैं, ये अलग अलग अलफ़ाज़ के मअनी के साथ हैं |

मतलब - मतन या बुनियादी तौर पर रीडर या सनडरर से बातचीत करने का बुनियादी ख़्याल या तसव्वुर. एक स्पीकर या मुसन्निफ़ को ज़बान के मुख़्तलिफ़ किस्मों का इस्तिमाल करके उसी मअनी से गुफ़्तगु कर सकता है, और मुख़्तलिफ़ लोग इसी ज़बान की शक्ल को सुनने या पढ़ने से मुख़्तलिफ़ मअनी समझ सकते हैं. इस तरह आप देख सकते हैं कि इस फ़ार्म और मअनी वही चीज़ नहीं हैं

** तर्जुमा** - हदफ़ ज़बान की शक्ल में इज़हार करने का अमल इसी मअनी का हामिल है जिसमें मुसन्निफ़ या स्पीकर ज़रीया ज़बान की शक्ल में बयान किया जाता है.

** माख़ज़ ज़बान ** - ज़बान * से * जिसका तर्जुमा किया जा रहा है.

** माख़ज़ टेक्स्ट** - मतन * से * जिसमें तर्जुमा किया जा रहा है.

** हदफ़ ज़बान ** - ज़बान * में * जिसमें तर्जुमा किया जा रहा है

** हदफ़ टेक्स्ट** - मुतर्जिम की तरफ़ से बनाया जा रहा है मतन की तौर पर वो या वो ज़रीया मतन से मअनी का तर्जुमा.

**असल ज़बान ** - जिस ज़बान में बाइबल का मतन इबतिदाई तौर पर लिखा गया था. नए अह्दनामा की हक़ीकी  ज़बान यूनानी है. पुराने अह्दनामा की असल ज़बान इब्रानी है. ताहम, डेनियल और अज़रा के कुछ हिस्सों की असल ज़बान में आरामी है. हक़ीकी ज़बान हमेशा से ज़्यादा दरुस्त ज़बान है जिससे एक गुज़रने का तर्जुमा करना है

** वसीअ मुवासलात की ज़बान ** - एक वसीअ ज़बान पर बोली जाने वाली ज़बान और बहुत से लोगों की तरफ़ से. ज़्यादा-तर लोगों के लिए, ये उनकी पहली ज़बान नहीं है, लेकिन वो ज़बान है जो वो अपनी ज़बानी कम्यूनिटी के बाहर लोगों से बात करने के लिए इस्तिमाल करते हैं. कुछ लोग उसे तिजारती  ज़बान कहते हैं. ज़्यादा से ज़्यादा बाइबल ज़रीया ज़बान के तौर पर वसीअ मुवासलात की ज़बान का इस्तिमाल करते हुए तर्जुमा किया जाएगा

** लफ़्ज़ी तर्जुमा** - एक तर्जुमा जो हदफ़ मतन में ज़रीया टेक्स्ट की शक्ल की तख़लीक़ करने पर तवज्जा  मर्कूज़ करता है, यहां तक कि अगर नतीजे में मअनी तबदील हो जाएगी.

मअनी पर मब नी तर्जुमा (या मुतहर्रिक तर्जुमा) - एक तर्जुमा जो हदफ़ टेक्स्ट में ज़रीया मतन के मअनी को दुबारा पैदा करने पर तवज्जा मर्कूज़ करता है, यहां तक कि अगर फ़ार्म के नतीजे में फ़ार्म तबदील हो जाता है |

पासज - बाइबल के मतन का एक हिस्सा जिसके बारे में बात की जा रही है. ये एक आयत के तौर पर कम अज़ कम हो सकता है, लेकिन ये आम तौर पर कई आयात है जो मिलकर एक मौजू है या एक कहानियां बताएं.

**गेट वे ज़बान ** - एक गेट वे ज़बान (जी ईल) वसीअ मुवासलात की ज़बान है जिसने हमने इन ज़बानी में से एक की हैसियत से शनाख़्त की है जिसमें हम अपने तमाम वसाइल का तर्जुमा करेगे | गेट वे की ज़बानें सीट का सबसे छोटी ज़बानों है जिसके ज़रीया मवाद दुनिया के हर दूसरी ज़बान में फ़राहम की जा सकती है.

**दूसरी ज़बान ** - दूसरी ज़बानें (ओएलएस) दुनिया की तमाम ज़बानों हैं जो गेट वे ज़बान नहीं हैं. हम अपने बाइबल तर्जुमा के औज़ार को गेट वे ज़बानों में तर्जुमा करें ताकि लोग इन ज़बानों को बाइबल को दूसरी ज़बानों में तर्जुमा करने के ले-ए-इस्तिमाल कर सके

इख़ततामी सारिफा बाइबल - ये एक बाइबल है जिसे लोग ने तर्जुमा किया है ताकि वो हदफ़ ज़बान में क़ुदरती रास्ते में बात करें. ये गिरजा-घरों और घरों में इस्तिमाल होने का मतलब है. इस के बरअक्स, युएलटी और युएसटी बाइबल हैं जो तर्जुमा के औज़ार हैं. वो किसी भी ज़बान में क़ुदरती  तौर पर बात नहीं करते हैं, क्योंकि युएलटी एक लफ़्ज़ी तर्जुमा है और युएसटी ज़बानी और आदाद-ओ-शुमार के आदाद-ओ-शुमार का इस्तिमाल करते हुए से बचता है, जो क़ुदरती  तर्जुमा का इस्तिमाल करेगी. इन तर्जुमा के औज़ार का इस्तिमाल करते हुए, एक मुतर्जिम एक इख़ततामी सारिफा बाइबल तैयार कर सकता है

** शुरका** - एक शुरका में एक अदाकारों में से एक है. ये शख़्स कार्रवाई कर रहा है, या वो शख़्स जो कार्रवाई हासिल कर रहा है, या किसी तरह से हिस्सा लेने के तौर पर ज़िक्र किया जा सकता है. एक हिस्सा लेने वाले एक ऐसी चीज़ भी हो सकती है जिसे सज़ा के अमल में हिस्सा लेने के तौर पर कहा जाता है. मिसाल के तौर पर, मुंदरजा ज़ैल हदीस में शुरका का ज़िक्र किया गया है : जान और मर्यम ने एंड्रयू को एक ख़त भेजा. कभी कभी शुरका को अलग अलग छोड़ दिया जाता है, लेकिन वो अब भी अमल का हिस्सा हैं. इस सूरत में, शराकतदार * तक़ाजा * है. मिसाल के तौर पर, दर्ज जे़ल सज़ा में, सिर्फ दो शुरका ने कहा कि: एंड्रयू ने एक ख़त मौसूल किया. भेजने वाले, जान और मर्यम, मुअज़्ज़िज़ हैं. कुछ ज़बानों में, मुजव्वजा शुरका  को कहा जाना चाहीए