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क़ुदरती तर्जुमे

बाईबल का तर्जुमा इस तरह करना ताके यह क़ुदरती हो के मानी है:

तर्जुमे की आवाज़ ऐसी महसूस होती हो के यह किसी हदफ़ गिरोह के रकुन के ज़रिए लिखा गया था न के ग़ैर मुल्की। क़ुदरती तर्जुमा करने के लिए कुछ नज़रियात यहाँ हैं:

मुख़्तसर जुमले इस्तेमाल करें

किसी तर्जुमे को क़ुदरती बनाने के लिए, बाज़ औक़ात तवील, पेचीदा जुमले से मुख़्तसर, आसान जुमले बनाने की ज़रुरत होती है। यूनानी ज़बान में अक्सर तवील, क़वायद के लिहाज़ से पेचीदा जुमले होते हैं। बाज़ बाईबल के मुतर्जमीन यूनानी साख्त को क़रीबी से पैरवी करते हैं और इन तवील जुमलों को अपने तर्जुमे में रखते हैं, यहाँ तक के जब यह क़ुदरती न भी लगे या हदफ़ ज़बान में उलझन वाला हो।

तर्जुमा करने की तैयारी करते वक़्त, तवील जुमलों को मुख़्तसर जुमलों में तोड़कर दोबारा लिखना अक्सर मददगार साबित होता है। यह मानी को ज़ियादा वाज़े तौर पर देखने और बेहतर तर्जुमा करने में आपका मददगार साबित हो सकता है। बहुत सी ज़बानों में मुख़्तसर जुमलों का इन्तखाब करना अच्छा अन्दाज़ है, या जब जुमले तवील हों, तो पेचीदा जुमलों से गुरेज़ करने के लिए। पस मानी को हदफ़ ज़बान में दोबारा बयान करने में, बाज़ औक़ात कुछ असल तवील जुमलों को कई मुख़्तसर जुमलों में तोड़ना ज़रूरी है। क्योंके बहुत सी ज़बानें सिर्फ़ एक या दो शफ़ों की गिरोहबन्दी के साथ जुमले इस्तेमाल करती हैं, मुख़्तसर जुमले क़ुदरती होने का एहसास देंगे। मुख़्तसर जुमले कारअीन को एक बेहतर समझ भी देंगे, क्योंके मानी ज़ियादा वाज़े होगा। यक़ीनी बनाएँ के नई, मुख़्तसर शफों और जुमलों के माबीन वाज़े राब्ते के अल्फ़ाज़ शामिल हों।

तवील, ज़ियादा पेचीदा जुमलों से मुख़्तसर जुमले बनाने के लिए, जुमले में उन अल्फ़ाज़ की शिनाख्त करें जो एक दूसरे से बराह रास्त ताल्लुक रखते हैं, यह के, जो एक शिक़ की तश्कील के लिए एक दूसरे के साथ ताल्लुक रखते हैं। आमतौर पर हर फ़अल या हरकत लफ्ज़ के दोनों तरफ अल्फ़ाज़ होते हैं जो फ़अल के अमल की तरफ़ या पीछे की तरफ़ इशारा करते हैं। इस तरह के अल्फ़ाज़ का एक गिरोह जो ख़ुद खड़ा हो सकता है उसे एक आज़ाद शिक़ या सादे से जुमले के तौर पर लिखा जा सकता है। इन अल्फ़ाज़ के हर गिरोह को साथ रखें और इस तरह से जुमले को इसके अलग अलग नज़रियात या हिस्सों में तक़सीम करें। यह यक़ीनी बनाने के लिए नए जुमले पढ़ें के अभी भी इनका मानी है। अगर कोई मसअला हो तो, आपको तवील जुमलों को एक मुख्तलिफ़ तरीक़े से तक़सीम करने की ज़रुरत हो सकती है। जब आप नए जुमलों के पैग़ाम को समझें तो, हदफ़ ज़बान में उनका तर्जुमा करें, ऐसे जुमले को बनाएँ जो क़ुदरती लम्बाई की हों और क़ुदरती अन्दाज़ में उन्हें मरबूत करें। फिर अपने तर्जुमे को उस ज़बान की बिरादरी के किसी फ़र्द को पढ़कर यह जांचें के आया यह क़ुदरती लगता है।

अपने लोगों के बात करने का तरीक़ा लिखें

बाईबल की क़तआ या बाब को पढ़ें और ख़ुद से पूछें, “यह किस क़िस्म का पैग़ाम है?” फिर क़तआ या बाब को इस तरीक़े से तर्जुमा करें जिस तरह आपकी ज़बान इस क़िस्म के पैग़ाम को इत्तिला करेगी।

मिशाल के तौर पर, अगर क़तआ एक नज़्म है, जैसा के ज़बूर में, तो इसे ऐसी सूरत में तर्जुमा करें जो आपके लोग नज़्म के तौर पर शिनाख्त करेंगे। या अगर क़तआ सहीह ज़िन्दगी जीने की बाबत एक नसीहत है, जैसा के नए अहदनामे के ख़तूत में, तो इसे ऐसी सूरत में तर्जुमा करें जो आपकी ज़बान में लोग एक दूसरे को नसीहत के लिए करते हैं। या अगर क़तआ इस बाबत एक कहानी है जो किसी ने किया था, तो इसे एक कहानी की सूरत में तर्जुमा करें (जो वाक़ई हुआ हो)। बाईबल में इस क़िस्म की बहुत सी कहानियाँ हैं, और इन कहानियों के हिस्से के तौर पर लोग एक दूसरे से ऐसी बातें कहते हैं जिनकी अपनी भी ख़ुद की सूरत होती है। मिशाल के तौर पर, लोग धमकियाँ देते हैं, इन्तिबाह देते हैं, और एक दूसरे की तारीफ़ या मलामत करते हैं। अपने तर्जुमे को क़ुदरती बनाने के लिए, आपको इन में से हर एक बातों को इस तरीक़े से तर्जुमा करना चाहिए जिस तरह आपकी ज़बान में लोग धमकियाँ देते हैं, इन्तिबाह देते हैं, और एक दूसरे की तारीफ़ या मलामत वगैरा करते हैं।

इन मुख्तलिफ़ चीज़ों को लिखने का तरीक़ा जानने के लिए, आपको अपने इर्द गिर्द लोगों की बातों को सुनना होगा, और मुख्तलिफ़ चीज़ें लिखने का मशक़ करना होगा जो लोग कहते हैं और करते हैं, ताके आप उन सूरत और अल्फ़ाज़ से वाक़िफ हों जो लोग इन मुख्तलिफ़ मक़ासद के लिए इस्तेमाल करते हैं।

एक अच्छा तर्जुमा वही ज़खीरा ए अल्फ़ाज़ और तास्रात इस्तेमाल करेगा जो आमतौर पर हदफ़ गिरोह के लोग इस्तेमाल करते हैं। इसे उनके पढ़ने या सुनने के लिए आसान होना चाहिए। कोई बेसलीक़ा या अजीब ओ ग़रीब जुमले नहीं होने चाहिए। तर्जुमा किसी क़रीबी दोस्त के ख़त की तरह आसानी से पढ़ना चाहिए।

गेटवे ज़बान तर्जुमों के लिए नहीं

यह हिस्सा ULT और UST के गेटवे ज़बान तर्जुमों के लिए नहीं है। ये ऐसी बाईबल हैं जो ऐसी ख़ुसूसियात के लिए नक्श की गयी हैं जो उन्हें हदफ़ की ज़बान में क़ुदरती होने से रोकती हैं। वो बाईबल की तर्जुमे के औज़ार हैं न के सारिफ़ की आख़िरी बाईबल। इसकी बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, गेटवे ज़बानों के दस्ती में देखें “ULT का तर्जुमा करना” और “UST का तर्जुमा करना”।