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### बयान
ख़तीब या मुसन्निफ़ कुछ यूँ कहने के लिए बिल्कुल वही अल्फ़ाज़ इस्तेमाल कर सकते हैं जिस का मतलब बिल्कुल सच्चा हो, आमतौर पर सच हो, या एक मुबालग़ा के तौर पर। यही वजह है के ये फ़ैसला करना मुश्किल है के बयान को किस तरह समझें।
* यहाँ हर रात बारिस होती है।
1. ख़तीब का मतलब यह लफ्ज़ी तौर पर सच है अगर उसका मतलब है के यहाँ वाक़ई हर रात बारिस होती है।
1. ख़तीब का मतलब यह है के इसे बतौर तअमीम अहमियत दी जाए अगर इसका मतलब है के यहाँ ज़ियादातर रातें बारिस होती है।
1. ख़तीब का मतलब यह मुबालग़ा के तौर पर है अगर वह कहना चाहता है के वाक़ई में कहीं ज़ियादा बारिस होती है, आमतौर पर बारिस की तादाद की तरफ़ एक मज़बूत रवैया, जैसे नाराज़ होना या ख़ुश होना।
**मुबालग़ा**: यह एक तर्ज़ ए इज़हार है जो **ज़ियादागोई** का इस्तेमाल करता है। ख़तीब जान बूझकर किसी इन्तहाई और यहाँ तक के ग़ैर हक़ीक़ी बयान के ज़रिये कुछ बयान करता है, आमतौर पर इसकी बाबत अपना सख्त एहसास या राय ज़ाहिर करने के लिए। वह तवक्को करता है के लोग समझें के वह मुबालग़ा आराई कर रहा है।
>वो <u>पत्थर पर पत्थर</u> बाकी न छोड़ेंगे (लूका 19:44 ULT)
* यह एक मुबालग़ा आराई है। इसके मानी है के दुश्मन यरूशलीम को मुकम्मल तौर पर तबाह कर देंगे।
**तअमीम:**यह ऐसा बयान है जो ज़यादातर वक़्त में या ज़यादातर हालात में सहीह होता है जिस पर इसका इत्तलाक़ होता है।
>जो तरबियत को रद्द करता है <u>कंगाल और रुसवा होगा,</u>
>लेकिन जो तम्बीह का लिहाज़ रखता है <u>इज़्ज़त पायेगा</u> (अम्साल 13:18)
ये तअमीम बताता है के आमतौर पर उन लोगों के साथ क्या होता है जो तरबियत को रद्द करते हैं और आमतौर पर उन लोगों के साथ क्या होता है जो इस्लाह से सीखता है।
>और जब तुम दुआ करो, तवील और बेकार बातें दोहराते न रहो जिस तरह <u>ग़ैर क़ौमों के लोग करते हैं, क्योंके वो समझते हैं के हमारे बहुत बोलने के सबब से हमारी सुनी जाएगी।</u> (मत्ती 6:7)
* यह तअमीम बताता है के ग़ैर क़ौमों के लोग क्या करने के लिए जाने जाते थे। बहुत से ग़ैर क़ौमियों ने ऐसा किया होगा।
अगरचे तअमीम एक मज़बूत आवाज़ वाला लफ्ज़ जैसे “सब”, “हमेशा”, “कोई नहीं”, या “कभी नहीं”, हो सकता है, यह ज़रूरी नहीं है के इसका मतलब **बिल्कुल** “सब”, “हमेशा”, “कोई नहीं”, या “कभी नहीं”, ही हो। इसका मतलब सिर्फ़ “ज़ियादातर”, “ज़यादातर वक़्त”, शायद ही कोई, या “शाज़ ओ नादिर” होता है।
>मूसा ने <u>मिस्रियों के तमाम उलूम में</u> तालीम पाई (आमाल 7:22 ULT)
इस तअमीम के मानी है के उसने ज़ियादातर सीख लिया था जिसको मिस्री जानते और तालीम देते थे।
### वजह के यह एक तर्जुमे का मसअला है
1. कारअीन को यह समझने की ज़रुरत होगी के आया कोई बयान मुकम्मल तौर पर दुरुस्त है या नहीं।
1. अगर कारअीन महसूस करते हैं के बयान मुकम्मल तौर पर सहीह नहीं है, तो उन्हें समझने की ज़रुरत है के आया यह एक मुबालग़ा है, तअमीम है, या झूट है। (अगरचे बाईबल मुकम्मल तौर पर सहीह है, यह उन लोगों की बाबत बताता है जो हमेशा सच नहीं बोलते थे।)
### बाईबल से मिशालें
#### मुबालग़ा आराई की मिशालें
>अगर तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाये तो, <u>उसे काट डाल</u> तेरे लिए बेहतर है के टुंडा होकर ज़िन्दगी में दाख़िल हो.... (मरकुस 9:43 ULT)
जब यिसू ने कहा के अपना हाथ काट डाल, उसका मतलब था के हमें <u>कोई भी इन्तहाई काम करना चाहिए</u> जो ज़रूरी है ताके हमें गुनाह न करना पड़े। उसने इस मुबालग़ा का इस्तेमाल यह ज़ाहिर करने के लिए किया के किस तरह गुनाह करने से रुकना इन्तहाई अहम है।
>फ़िलिस्ती इस्राईलियों से लड़ने के लिए इकठ्ठे हुए: तीस हज़ार रथ, छ: हजार सवार, और एक अम्बोह ए कसीर <u>जैसे समुंदर के किनारे की रेत</u> (1 समुएल 13:5 ULT)
ख़त कशीदा जुमला एक मुबालग़ा आराई है। इसका मानी है के वहाँ फ़िलिस्ती फ़ौज में <u>बहुत, बहुत</u> सिपाही थे।
#### तअमीम की मिशालें
>उन्होंने उसे ढूँढ लिया, और उन्होंने उससे कहा, “<u>सब लोग</u> तुझे ढूँढ रहे हैं”। (मरकुस 1:37 ULT)
शागिर्दों ने यिसू को बताया के हर एक उसे ढूँढ रहा था। शायद उनका यह मतलब नहीं था के शहर में हर एक उसे ढूँढ रहा था, बल्के <u>बहुत लोग</u> उसे ढूँढ रहे थे, या वहाँ यिसू के तमाम क़रीबी दोस्त उसे ढूँढ रहे थे।
>बल्के जिस तरह उसका मसह तुम्हें <u>सब बातों</u> की बाबत सिखाता है और सच्चा है और झूठा नहीं, और जिस तरह उसने तुम्हें सिखाया, तुम उसमें क़ाइम रहो। (1 यूहन्ना 2:27 ULT)
यह एक तअमीम है। ख़ुदा का रूह हमें <u>सब बातों की बाबत जो हमें जानना ज़रूरी है</u> सिखाता है, हर एक चीज़ की बाबत नहीं जिसे जानना मुमकिन है।
#### एहतियात
यह न समझें के कोई चीज़ मुबालग़ा आराई है क्योंके ऐसा लगता है के यह नामुमकिन है। ख़ुदा मौजिज़ाती काम करता है।
>...उन्होंने यिसू को <u>झील पर चलते</u> और किश्ती के नज़दीक आते देखा... (यूहन्ना 6:19 ULT)
यह मुबालग़ा नहीं है। यिसू वाक़ई में पानी पर चला। यह एक लफ्ज़ी बयान है।
यह न समझें के लफ्ज़ “सब” हमेशा तअमीम है जिसके मानी है "ज़ियादातर”।
>ख़ुदावन्द अपनी सब राहों में सादिक़ है
>और अपने सब कामों में रहीम है। (ज़बूर 145:17 ULT)
ख़ुदावन्द हमेशा सादिक़ है। यह एक मुकम्मल सच्चा बयान है।
### तर्जुमा की हिकमत ए अमली
अगर मुबालग़ा आराई या तअमीम क़ुदरती होगा और लोग उसे समझें और यह न सोचें के ये झूट है, तो इसके इस्तेमाल पर गौर करें। अगर नहीं, तो यहाँ दीगर इख्तियारात हैं।
1. बगैर मुबालग़ा आराई के मानी बयान करें।
1. तअमीम के लिए, एक जुमला इस्तेमाल करने के ज़रिए ज़ाहिर करें के यह तअमीम है जैसे “आमतौर पर” या “ज़ियादातर मामलात में”।
1. तअमीम के लिए, “ज़ियादातर” या “तक़रीबन” जैसे लफ्ज़ का इज़ाफ़ा करें ताके यह ज़ाहिर हो के तअमीम ऐन मुताबिक़ नहीं है।
1. ऐसे तअमीम के लिए जिसमे “सब”, “हमेशा”, “कोई नहीं”, या “कभी नहीं” जैसे लफ्ज़ हों, उस लफ्ज़ को हज्फ़ करने पर गौर करें।
### तर्जुमे की हिकमत ए अमली की इतलाक़ी मिशालें
1. बगैर मुबालग़ा आराई के मानी बयान करें।
* फ़िलिस्ती इस्राईलियों से लड़ने के लिए इकठ्ठे हुए: तीस हज़ार रथ, छ: हजार सवार, और एक अम्बोह ए कसीर <u>जैसे समुंदर के किनारे की रेत</u> (1 समुएल 13:5 ULT)
* >फ़िलिस्ती इस्राईलियों से लड़ने के लिए इकठ्ठे हुए: तीस हज़ार रथ, छ: हजार सवार, और <u>एक बहुत बड़ी तादाद में पियादा फ़ौजी</u>
1. तअमीम के लिए, एक जुमला इस्तेमाल करने के ज़रिए ज़ाहिर करें के यह तअमीम है जैसे “आमतौर पर” या “ज़ियादातर मामलात में”।
* **जो तरबियत को रद्द करता है कंगाल और रुसवा होगा ...** (अम्साल 13:18)
* <u>आमतौर पर,</u> जो तरबियत को रद्द करता है कंगाल और रुसवा होगा
* **और जब तुम दुआ करो, तवील और बेकार बातें दोहराते न रहो जिस तरह ग़ैर क़ौमों के लोग करते हैं, क्योंके वो समझते हैं के हमारे बहुत बोलने के सबब से हमारी सुनी जाएगी।** (मत्ती 6:7)
* “और जब तुम दुआ करो, तवील और बेकार बातें दोहराते न रहो जिस तरह ग़ैर क़ौमों के लोग <u>आमतौर पर</u>करते हैं, क्योंके वो समझते हैं के हमारे बहुत बोलने के सबब से हमारी सुनी जाएगी”।
1. तअमीम के लिए, “ज़ियादातर” या “तक़रीबन” जैसे लफ्ज़ का इज़ाफ़ा करें ताके यह ज़ाहिर हो के तअमीम ऐन मुताबिक़ नहीं है।
* **यहूदिया के मुल्क के <u>सब लोग</u> और यरूशलीम के <u>सब</u>रहने वाले निकलकर उसके पास गए।** (मरकुस 1:5 ULT)
* यहूदिया के मुल्क के <u>तक़रीबन सब लोग</u> और यरूशलीम के <u>तक़रीबन सब</u>रहने वाले निकलकर उसके पास गए”।
* यहूदिया के मुल्क के <u>ज़ियादातर लोग</u> और यरूशलीम के <u>ज़ियादातर सब</u>रहने वाले निकलकर उसके पास गए”।
1. ऐसे तअमीम के लिए जिसमे “सब”, “हमेशा”, “कोई नहीं”, या “कभी नहीं” जैसे लफ्ज़ हों, उस लफ्ज़ को हज्फ़ करने पर गौर करें।
* **यहूदिया के मुल्क के <u>सब लोग</u> और यरूशलीम के <u>सब</u>रहने वाले निकलकर उसके पास गए।** (मरकुस 1:5 ULT)
* यहूदिया के मुल्क के और यरूशलीम के लोग निकलकर उसके पास गए।