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तर्जुमा के मयार की ख़ुद-तशख़ीस

इस हिस्से का मक़सद एक ऐसे अमल की वज़ाहत करना है जिस के ज़रिये कलीसिया मुअतबर तौर पर अपने लिए किसी तर्जुमे के मयार का तअीन कर सके। मुन्दर्जा जैल तशख़ीस का मक़सद तर्जुमे की जाँच के लिए कुछ इन्तहाई अहम तकनीक की तजवीज़ करना है, बजाय इसके के हर क़ाबिल ए फ़हम जाँच की वज़ाहत जिसकी मुलाज़मत हो सकती है। आख़िरकार, यह फ़ैसला कलीसिया को करना चाहिए के कौन सा जाँच, कब, और किसके ज़रिये इस्तेमाल किया जाता है।

तशख़ीस का इस्तेमाल कैसे करें

इस तशख़ीस के तरीक़े में दो तरह के बयानात लगाये जाते हैं। बाज़ “हाँ/ना” बयानात हैं जहाँ एक मनफ़ी जवाब किसी मसअले की तरफ इशारा करता है जिसे लाज़मी तौर पर हल किया जाना चाहिए। दूसरे हिस्से यकसां-वज़न वाला तरीक़ा इस्तेमाल करते हैं जो तर्जुमे की टीम और जाँचने वालों को तर्जुमे के बारे में बयानात फ़राहम करता है। हर बयान का हिसाब 0-2 पैमाने पर जाँच करने वाले शख्स (तर्जुमा टीम से शुरू करके) के ज़रिये किया जाना चाहिए:

0 - राज़ी नहीं

1 - किसी हद तक राज़ी

2 - बहुत ज़ियादा राज़ी

जायज़े के इख्तताम पर, एक हिस्से में तमाम जवाबों की कुल क़ीमत शामिल की जानी चालिए और, अगर जवाब सही तौर पर तर्जुमे की हालत पर अक्स डालते हैं, यह क़ीमत जायज़ा लेने वाले को इस इमकान का अन्दाज़ा फ़राहम करेगी के तर्जुमा शुदा बाब बेहतरीन मयार का है। सुर्ख़ी को आसान और जायज़ा लेने वाले को तशख़ीस करने का एक माक़ूल तरीक़ा फराहम करने के लिए बनाया गया है जहाँ काम में बेहतरी की ज़रुरत है। मिशाल के तौर पर, अगर तर्जुमा “दुरुस्तगी” में निस्बतन बेहतर है लेकिन “क़ुदरतीपन” और “वज़ाहत” में काफ़ी कम है, तब तर्जुमा टीम को मज़ीद बिरादरी जाँच की ज़रुरत है।

सुर्ख़ी तर्जुमा शुदा बाईबल मवाद के हर बाब के लिए इस्तेमाल होने के इरादे से है। तर्जुमा टीम को अपने दीगर जाँचों को ख़त्म करने के बाद हर बाब की तशख़ीस करनी चाहिए, और फिर दर्जा 2 के कलीसियाई जाँचने वालों को इसे दोबारा करना चाहिए, और फिर दर्जा 3 के जाँचने वालों को भी इस जाँच फ़ेहरिस्त के साथ तर्जुमे की तशख़ीस करनी चाहिए। चूँकि हर दर्जे पर कलीसिया के ज़रिये बाब की मज़ीद तफ्सीली और वसीअ जाँच की जाती है, इसलिए बाब के नुकतों को पहले चार हिस्सों (जायज़ा, क़ुदरतीपन, वज़ाहत, दुरुस्तगी) में से हर एक से अपडेट करना चाहिए, जो कलीसिया और बिरादरी को यह देखने की इजाज़त देता है के तर्जुमा किस तरह बेहतर हो रहा है।

ख़ुद-तशख़ीस

अमल को पाँच हिस्सों में तक़सीम किया गया है: जायज़ा (तर्जुमे के ख़ुद के बारे में मालूमात), क़ुदरतीपन, वज़ाहत, दुरुस्तगी, और कलीसिया मंज़ूरी

1. जायज़ा
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “नहीं” या “हाँ” का दायरा लगाएँ।*

नहीं | हाँ यह तर्जुमा मानी पर मबनी तर्जुमा है जो असल मतन के मानी को क़ुदरती, वाज़े, और दुरुस्त तरीक़े से हदफ़ ज़बान में इत्तिला करने की कोशिश करता है।

नहीं | हाँ जो तर्जुमे की जाँच में शामिल हैं वो हदफ़ ज़बान के पहली-ज़बान बोलने वाले हैं।

नहीं | हाँ इस बाब का तर्जुमा ईमान के बयान के साथ रज़ामन्दी में है।

नहीं | हाँ इस बाब का तर्जुमा, तर्जुमा हिदायतनामे के मुताबिक़ किया गया है

2. क़ुदरतीपन: “यह मेरी ज़बान है”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

इस हिस्से को मज़ीद बिरादरी जाँच के ज़रिये मज़बूत किया जा सकता है। (देखें ज़बान बिरादरी जाँच)

0 1 2 जो इस ज़बान को बोलते हैं और इस बाब को सुन चुके हैं वो इस बात से राज़ी हैं के इसका तर्जुमा ज़बान की सहीह सूरत इस्तेमाल करते हुए किया गया है।

0 1 2 जो इस ज़बान को बोलते हैं वो इस बात से राज़ी हैं के इस बाब में इस्तेमाल किये गए कलीदी अल्फ़ाज़ इस तहज़ीब के लिए पसन्दीदा और सहीह हैं।

0 1 2 इस बाब में तशरीह और कहानियाँ उन लोगों के लिए समझना आसान हैं जो इस ज़बान को बोलते हैं।

0 1 2 जो इस ज़बान को बोलते हैं वो इस बात से राज़ी हैं के इस बाब में जुमले की साख्त और मतन की तरतीब क़ुदरती है और सहीह तौर पर बहती है।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में वो बिरादरी अरकान शामिल थे जो इस बाब का तर्जुमा करने में रास्त तौर पर शामिल नहीं हुए।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में ईमानदार और ग़ैर-ईमानदार दोनों शामिल थे, या कम अज़ कम वो ईमानदार जो बाईबल से निस्बतन नावाक़िफ हैं ताके वह सुनने से पहले यह न जान सकें के मतन को क्या कहना है।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में इस ज़बान को बोलने वाले कई मुख्तलिफ़ उमर के गिरोह शामिल थे।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में आदमी और औरत दोनों शामिल थे।

3. वज़ाहत: “मानी वाज़े है”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

इस हिस्से को मज़ीद बिरादरी जाँच के ज़रिये मज़बूत किया जा सकता है। (देखें ज़बान बिरादरी जाँच)

0 1 2 इस बाब का तर्जुमा उस ज़बान का इस्तेमाल करते हुए किया गया है जिस पर मक़ामी बोलने वाले राज़ी हैं के इसे समझना आसान है।

0 1 2 इस ज़बान के बोलने वाले राज़ी हैं के इस बाब में सारे नामों, जगहों, और फ़अल ज़माना के तर्जुमे सहीह हैं।

0 1 2 इस बाब में तर्ज़ ए इज़हार इस तहज़ीब के लोगों के लिए मानी ख़ेज़ हैं।

0 1 2 इस ज़बान के बोलने वाले राज़ी हैं के जिस तरीक़े से इस बाब का साख्त किया है वह मानी से तवज्जो नहीं फेरता।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायजे में वो बिरादरी अरकान शामिल थे जो इस बाब का तर्जुमा करने में रास्त तौर पर शामिल नहीं हुए।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में ईमानदार और ग़ैर-ईमानदार दोनों शामिल थे, या कम अज़ कम वो ईमानदार जो बाईबल से निस्बतन नावाक़िफ हैं ताके वह सुनने से पहले यह न जान सकें के मतन को क्या कहना है।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में इस ज़बान को बोलने वाले कई मुख्तलिफ़ उमर के गिरोह शामिल थे।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में आदमी और औरत दोनों शामिल थे।

4. दुरुस्तगी: “तर्जुमा वही इत्तिला देता है जो असल माख़ज़ मतन ने इत्तिला दिया था”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

इस हिस्से को मज़ीद दुरुस्तगी जाँच के ज़रिये मज़बूत किया जा सकता है। (देखें दुरुस्तगी जाँच)

0 1 2 इस बाब के लिए माख़ज़ मतन में तमाम अहम अल्फ़ाज़ की एक मुकम्मल फ़ेहरिस्त का इस्तेमाल इस बात को यक़ीनी बनाने में मदद करने के लिए किया गया है के तर्जुमे में सारे अल्फ़ाज़ मौज़ूद हैं।

0 1 2 इस बाब में सारे अहम अल्फ़ाज़ सहीह तौर पर तर्जुमा किये गए हैं।

0 1 2 इस बाब में सारे अहम अल्फ़ाज़ यकसां तौर पर तर्जुमा किये गए हैं, साथ ही साथ दूसरे जगहों में भी जहाँ अहम अल्फ़ाज़ ज़ाहिर होते हैं।

0 1 2 ताक़तवर तर्जुमा दावों को शिनाख्त और हल करने के लिए पूरे बाब के लिए तशरीही वसाएल इस्तेमाल किये गए हैं, जिसमे नोट्स और तर्जुमाअल्फ़ाज़ शामिल हैं।

0 1 2 माख़ज़ मतन के तारीख़ी तफ्सीलात (जैसे नाम, जगह, और वाक़िये) को तर्जुमे में महफ़ूज़ किया गया है।

0 1 2 तर्जुमा शुदा बाब में हर तर्ज़ ए इज़हार के मानी को असल के इरादे के साथ मोवाज़ना और सफ़बन्द किया गया है।

0 1 2 तर्जुमे को उन मक़ामी बोलने वालों के साथ जाँच किया गया है जो तर्जुमा करने में शामिल नहीं थे और इस बात पर राज़ी हैं के तर्जुमा दुरुस्तगी से माख़ज़ मतन के मतलूबा मानी को इत्तिला करता है।

0 1 2 इस बाब के तर्जुमे को कम अज़ कम दो माख़ज़ मतनों से मोवाज़ना किया गया है।

0 1 2 इस बाब के किसी भी मानी की बाबत तमाम सवालात औत इख्तिलाफात को हल कर दिया गया है।

0 1 2 लुग़वी तअरीफ़ें और असल मतनों के इरादे की जाँच के लिए इस बाब के तर्जुमे को असल मतनों (इब्रानी, यूनानी, अरामी) से मोवाज़ना किया गया है।

5. कलीसिया की मंज़ूरी: “तर्जुमे की क़ुदरतीपन, वज़ाहत, और दुरुस्तगी उस कलीसिया ने मंज़ूर किया है जो यह ज़बान बोलती है”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

नहीं | हाँ वो कलीसिया रहनुमा जिन्होंने इस तर्जुमे की जाँच की है, हदफ़ ज़बान के मक़ामी बोलने वाले हैं, और इसमें कोई ऐसा भी शामिल है जो उन ज़बानों में से एक को अच्छी तरह समझता है जिसमे माख़ज़ मतन दस्तयाब है।

नहीं | हाँ इस बाब के तर्जुमे को ज़बान बिरादरी के लोगों आदमी और औरत, बूढ़े और नौजवान, दोनों ने जायज़ा कर लिया है और इस बात पर राज़ी हैं के यह क़ुदरती और वाज़े है।

नहीं | हाँ इस बाब के तर्जुमे को कम अज़ कम दो मुख्तलिफ़ कलीसियाई नेटवर्क्स के कलीसिया रहनुमाओं ने जायज़ा कर लिया है और इस बात पर राज़ी हैं के यह दुरुस्त है।

नहीं | हाँ इस बाब के तर्जुमे को कम अज़ कम दो मुख्तलिफ़ कलीसियाई नेटवर्क्स के रहनुमा या उनके मन्दूबीन ने जायज़ा कर लिया है और इस ज़बान में बाईबल के इस बाब की एक वफ़ादार तर्जुमे की हैसियत से इसकी तस्दीक़ की है।