ur-deva_obs/content/07.md

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# 7. खुदा याक़ूब को बरकत देता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-01.jpg)
जैसे जैसे दोनों लड़के बड़े होते गए याक़ूब को घर पर ही रहना पसंद था मगर एसाव को जानवरों का शिकार करना पसंद था रिबेक़ा याक़ूब से कुछ ज़ियादा ही मोहब्बत रखती थी , मगर इज़हाक एसाव से मोहब्बत रखता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-02.jpg)
एक दिन एसाव जब शिकार से लौटा तो वह बहुत भूका था ,एसाव ने याक़ूब से कहा जो तूने अपने लिए खाना बनाया है उसमें से थोड़ा मुझे दे दे याक़ूब ने जवाब दिया कि पहले तुम मुझ से वादा करो कि अपने पह्लोठे होने का हक़ मुझे दे दोगे ? सो एसाव ने वादा किया कि मैं तुझे वह सारी चीज़ें जो फ्लोठे होने के हक़ में है तुझे दे दूंगा फिर याक़ूब ने अपने खाने में से थोड़ा एसाव को दे दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-03.jpg)
दूसरी तरफ़ इज़हाक अपनी बरकत एसाव को देना चाहता था मगर उसके बरकत देने से पहले ही रिबका और याक़ूब ने चालाकी करी याक़ूब ने खुद को एसाव जैसा बना लिया, उसके कपड़े पहन लिए , उसने जानवर के बाल अपनी गर्दन और हाथ में चिपका लिए , अब इसलिए कि इज़हाक़ की आँखें धुंदला गयी थीं , वह उसको पहचान न सका -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-04.jpg)
याक़ूब इज़हाक़ के पास आया और कहा कि “मैं एसाव हूँ ,मैं इसलिए आया हूँ कि तू मुझे बरकत दे –जब इज़हाक़ ने याक़ूब को टटोला और उसके कपड़े सूंघे तो ऐसा लगा कि वह एसाव है और उसे बरकत दे दी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-05.jpg)
एसाव याक़ूब से नफ़रत करने लगा क्यूंकि उसने पह्लोठे होने का हक़ छीन लिया था और उसकी बरकतें भी ले ली थी जो सबसे बड़े बेटे को दी जाती थी, सो उसने याक़ूब को उसके बाप के मरने के बाद हलाक करने का मंसूबा बाँधा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-06.jpg)
मगर रिबक़ा ने एसाव के मंसूबे को मालूम कर लिया था फिर रिबेक़ा और इज़हाक़ दोनों ने मिल्कर याकूब को रेबेक़ा के रिश्तेदारों के पास दूर भेज दिया-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-07.jpg)
याक़ूब रिबेक़ा के रिश्तेदारों के पास बहुत सालों तक रहा उसी दौरान याक़ूब ने दो शादियाँ की और उसके बारह बेटे और एक बेटी पैदा हुईं –खुदा ने याक़ूब को बरकत दी और वह बहुत बड़ा दौलतमंद शख्स बन गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-08.jpg)
बीस साल तक याक़ूब अपने मांबाप के घर से यानि कनान से दूर था फिर याक़ूब अपने ख़ानदान में वापस आया मगर अब वह अकेला नहीं था उसके साथ उसका पूरा ख़ानदान था ,जानवरों के रेवड़ थे, नौकर चाकर थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-09.jpg)
मगर याक़ूब अभी भी अपने भाई एसाव से डरता था –क्यूंकि वह सोचता था कि एसाव अभी भी उसको हलाक करना चाहता था सो उसने बहुत से जानवर अपने नौकरों के हाथ भिजवाए नौकरों ने एसाव से कहा कि “आप का ग़ुलाम याक़ूब ने यह सारे जानवर आपको देने के लिए कहा है और वह बहुत जल्द यहाँ तशरीफ़ ला रहें हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-10.jpg)
मगर एसाव ने याक़ूब को हलाक करने की मंशा छोड़ दी थी इस के बदले में वह याक़ूब से दुबारा मिलने की आरज़ू रखता था –जब याक़ूब को मालूम पड़ा कि एसाव उससे सुलह का आरज़ू रखता है तो वह ख़ुश हुआ और इतमीनान और तसल्ली से मुल्क –ए –कनान में अपने खानदान के साथ रहने लगा था –फिर इज़हाक़ की जब मौत हुई तो दोनों ने मिलकर अपने बाप को मिटटी दी –खुदा का मुआहदा और वादे जो उसने अब्रहाम से किए थे वह अब इज़हाक़ और याक़ूब में पूरे होने वाले थे -
_पैदाइश 25:27 से 35:29 तक बाइबिल की एक कहानी _