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मज़हबी रहनुमा ने ऐसा क्यूँ सोचा कि वह एक रास्तबाज़ था ?

क्यूंकि वह हफ़्ते में दो मरतबा रोज़ा रखता था और अपनी आमदनी और माल ओ असबाब का दसवां हिस्सा देता था -