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स्वर्ग, पृथ्वी, यरूशलेम या अपने सिर की शपथ खाने की अपेक्षा हमें यीशु की शिक्षा के अनुसार क्या करना चाहिए?

यीशु का कहना था कभी किसी भी बात की शपथ नहीं खाना चाहिए परन्तु हमारी बात "हाँ" की "हाँ" और "नहीं" की "नहीं" हो।