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याकूब ने क्या सोचा कि वह अपने भाई एसाव को भेट भेजकर पूरा कर सकता है?

याकूब सोचता था की यह भेंट जो मेरे आगे-आगे जाती है, उसके द्वारा वह एसाव के क्रोध को शान्त करेगा कि जब वह उस से मिले तब वह उसे स्वीकार करेगा।