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लेखक अपने प्राण से क्या कहता है?

लेखक अपने प्राण से कहता है, परमेश्वर पर आशा लगाए रह, क्योंकि वह उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर से उसका धन्यवाद करेगा।