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इस पत्र के प्राप्रिकर्ता विश्वासियों ने अपनी संपति कैसे लुट जाने दी थी?

विश्वासियों ने संपति भी आनन्द से लुटने दी, यह जानकर कि उनके पास एक और भी उत्तम और सदा ठहरने वाली संपति है।