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अन्त में पौलुस क्या चाहता था कि कुरिन्थ के विश्वासी करें?

पौलुस चाहता था कि वे आनन्दित रहें, सिद्ध बनते जाएं, एक ही मन रखें, मेल से रहें, एक-दूसरे को पवित्र चुम्बन से नमस्कार करें।